हैलो फ़्रेंड्स, मेरा नाम शिवानी है और मैं 19 की हूँ और गुड़गाँव में हॉस्टल में रहती हूँ। मैं अपने माँ पापा की अकेली संतान हूँ और क़रीबन 2 साल से मैं घर से दूर हॉस्टल में ही रह रही हूँ और त्यौहारों के समय पर मैं घर वालों से मिलने भी जाती रहती हूँ।
एक हफ़्ते के बाद होली का त्यौहार था तो मैं भी माँ पापा से मिलने के लिये घर जा रही थी, मैंने इस बार उन्होंने बताया नहीं था कि मैं आ रही हूँ क्योंकि मैं उन्हें सरप्राइज़ देना चाहती थी।
मैं घर पहुंची तो पापा पूछने लगे शिवानी बेटा तुमने फ़ोन भी नहीं किया कि तुम आ रही हो, मैंने कहा हां पापा, कल छुट्टी है इस वजह से मैं आ गयी सोचा सरप्राइज दे दूंगी. माँ कहा है ? पापा बोले यही कही गयी होगी,आ जाएगी थोड़ी देर में। मैं माँ का इंतज़ार करने लगी पर आधे घंटे हो गए थे माँ अभी तक आयी ही नहीं थी फिर मैंने सोचा चलो कोई बात नहीं जब माँ आयेगी तब मिल लूँगी तबतक अपने ऊपर वाले रूम में जाकर थोड़ा आराम कर लेती हूँ।
जैसी ही मैं ऊपर पहुँची मेरी साँसें ही रुक गईं, हवा से उस कमरे का परदा हिल रहा था और बिल्कुल सामने डबल बेड पर मेरी माँ किसी और मर्द से टाँगें खोल कर चुद रही थीं!!! मैंने ध्यान से देखा तो पता चला की शर्मा अंकल है. मैं चिल्लाना चाहती थी पर मेरे मुँह से आवाज़ ही नहीं निकली और मैं चुपचाप खड़ी रही.
मेरी आँखों के सामने मेरी माँ रंगरलिया माना रही थी, मेरी माँ की साड़ी ऊपर तक उठी हुई थी और ब्लाउज सामने से खुला था… अंकल सामने घुटनों के बल मम्मी की टाँगों के बीच बैठे थे और मम्मी को लगातार पेल रहे थे अपने मोटे लंड से !!! मम्मी का चेहरा दूसरी तरफ मुड़ा हुआ था और वो धीरे-धीरे सिसकारियाँ ले रहीं थी और मज़े से चुद रही थीं!! शर्मा अंकल मेरी मम्मी की चूचियों को दबाये जा रहे थे, मेरी माँ भी खूब मजे ले रही थी.
मेरे पापा को पैरो में दिक़्क़त है जिस वजह से वो चल फिर नहीं पाते और मम्मी के अनुसार मैं हॉस्टल में थी क्यूंकी मैं पहले कभी बिना बताए नहीं आई थी तो, मम्मी को मेरे आने का बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था.. ..
और आज सुबह ही जब मेरी उनसे बात हुई थी तो मैंने आने का कोई ज़िक्र भी नहीं किया था इसलिए वो एकदम बेफिक्री से चुद रही थीं और रंगरलिया मना रही थी.
शक तो मुझे पहले भी कई बार हुआ था की मेरी माँ पड़ोस के कई लोगो से चुदती है रंडी कहिकी, आज मैंने अपनी आँखों से देख भी लिया रंडी को चुदते हुए। मेरी आँखों से आँसू टपकने लगे, मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी.
तभी मेरी रंडी माँ ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी क्योंकि शर्मा अंकल उन्हें घोड़ी बनाकर चोद रहे थे और उन्होंने मेरी रंडी माँ के बाल एक हाथ से पकड़े हुए थे और दूसरे हाथ से वो मेरी राँड माँ की गाँड़ पे ज़ोर के थप्पड़ भी मारते और वो ज़ोर ज़ोर की चीखें मारती “चोदो राजा और तेज चोदो आज फाड़ डालो मेरी चूत अपनी राँड बना लो मुझे” अंकल मेरी रंडी माँ को तेज तेज पलने लगे और कभी वो मेरी रंडी माँ को घोड़ी बनाकर चोदते तो कभी कुतिया बनाकर।
मेरी माँ अपने चूतड़ उठा उठा के चुदवा रही थी और खूब मज़े ले रही थी। थोड़ी देर बाद अंकल ने माँ को सीधा किया और अपनी जीभ से उसकी चूत चाटने लगे और मेरी रंडी माँ तो बिलकुल मछली की तरह मचलने लगी और अंकल का सर अपनी टाँगो से दबाने लगी कि उनकी जीभ मेरी रंडी माँ की चूत की गहराई में जाये।
इसके बाद मेरी माँ भी अंकल का लंड चूसने लगी और वो बिलकुल एक रंडी की तरह लंड चूसने लगी जैसे पहले भी उसने कई सारे लंड चूसे हो। लंड चूसते चूसते अंकल मेरी माँ के मुँह में ही झड़ गये और मेरी रंडी माँ अंकल के सारे माल को पी गई।
मेरी माँ चुद चुदकर इतनी चुदक्कड़ हो गई थी कि वो अंकल को दूसरे राउंड के लिए तैयार करने लगी और फिर से अंकल का लंड खड़ा हो गया।
इस बार मेरी माँ अंकल के लंड के ऊपर बैठ गई और ज़ोर ज़ोर से उनके लंड पर उछलने लगी और अंकल भी उनकी चूत में ज़ोर ज़ोर के धक्के मारते। माँ रंडी की तरह सिसकारियाँ निकलती और साथ ही में मेरी रंडी माँ की बड़ी बड़ी चुचिया भी उनके साथ उछलती।
पूरे 1 घंटे की लगातार चुदाई के बाद मेरी माँ झड़ गई और फिर अंकल भी झड़ गये और उन्होंने अपना सारा वीर्य मेरी माँ के चूत में ही छोड़ दिया। उस दिन अंकल ने मेरी माँ को खूब चोदा और चोद चोदकर बनाया रंडी।
चुदाई के बाद मम्मी उठकर अपना ब्लाउज में अपने चूचियों को समेट रही थी और साडी ठीक करने लगीं… अंकल भी अपने पायजामे का नाडा बाँधने लगे और चप्पल ढूंढ रहे थे. मैं बैठे बैठे दो चार सीढ़ी उतरी, फिर एक दम चुप चाप नीचे चली गई…
अंदर घुसते ही पापा बोले – क्या हुआ, बेटा… मिली नहीं मम्मी.. वो अपना मोबाइल भी यही छोड के गयी है, आ जाएगी यही कही होगी।
मैंने एक पल पापा को देखा फिर चुपचाप बाथरूम में जा कर नल चालू कर लिया और सिसकने लगी!!! मैंने सोचा ये इंसान कितना सीधा सादा है और ये कितनी रंडी है पड़ोसियो से चुदवा रही है इसको बिलकुल भी शर्म ही नहीं है।
थोड़ी देर बाद मैं नॉर्मल हुई और फिर बाहर आ गयी और पापा से बोली पापा आपके लिए चाय बनाऊ
अब तक रंडी मम्मी नीचे आ चुकीं थी और पापा से थोड़ी दूर सोफे पर बैठीं थी चेहरा खिला हुआ था क्यों की चुद कर जो आयी थी, खुश लग रही थी।
उन्होंने मुझे देखा और बोला – कब आई… ?? फिर बिना जवाब का इंतेज़ार किए बोलीं – आ रही हूँ यार, मैं एक मिनिट में,हाथ मुँह धो लूँ, चक्कर से आ रहे मुझे, मैं समझ गई की चट चट कर रहा होगा मुँह हाथ क्योंकी मुठ मार कर अंकल ने सारा माल इसी रंडी के मुह के ऊपर डाल दिया था।
खैर, मैंने पापा को देखा और अपने ऊपर संयम रखा और सोचा चुप रहने में ही भलाई है। वैसे भी मम्मी कभी नहीं मानेंगी की वो ऊपर चुद रही थी और मैं इसका गवाह हु मैंने चुदते देखा.
जब मम्मी हाथ मुँह धो कर आईं तो ना चाहते हुए भी मेरे मुँह से निकल गया – कहाँ गईं थीं… ??
मेरी माँ ने बड़ी चालाकी से बात टाल दी और कहने लगी यही पड़ोस में नयी बहु आयी थी देखने गयी. एक पल को भी उन्हें देख कर यह एहसास नहीं हो रहा था कि 5 मिनिट पहले वो किसी “गैर मर्द” से मज़े लेकर चुद रही थीं!!
उस दिन के बाद मेरी रंडी माँ मेरी नज़रों में गिर चुकी थी और फिर मैं नीचे आ आ आयी और किचन में जाकर पापा के लिए कुछ बनाने लगी।
तो दोस्तों ऐसे मैंने अपनी रंडी माँ को पड़ोस के अंकल के साथ चुदते देखा।