चुदाई का मजा मैंने अपने ड्राईवर के साथ लिया. मैं उसे अपनी माँ के पास ले गयी और अपनी माँ को भी उससे चुदवाया. थ्रीसम सेक्स का मजा लिया.
नमस्ते, सभी पाठकों को मेरा प्रणाम।
मैं आपकी सिया भाभी, जामनगर, से!
कौन हूं मैं … और कैसी हूं आप सब जानते ही हो।
‘एक ऊंचे परिवार की छीनाल औरत’
यही मैं अपने आप को समझती हूं।
और जैसी मैं, वैसी ही मेरी मॉम!
यह भी आप जानते हैं।
उसी से तो मुझे ये रण्डीपन की विरासत मिला है।
यह चुदाई कहानी भी मेरी मॉम से संबंधित है।
आपने मेरी यह कहानी
ड्राइवर जी को खिलाया चूत का मेवा
तो पढ़ी ही होगी।
उस कहानी का हरमींदार सिंह ही आज की कहानी का मेरा चोदू है।
वह एक हट्टा-कट्टा बंदा है जो चांदनी रात में मुझे मेरे ही गोडाउन में और बाहर ले जाकर चोद चुका था।
मुझे उसका तगड़ा लन्ड और शरीर बहुत पसंद था।
मैं उससे और जी भर कर चुदवाना चाहती थी; मैं उस चुदाई के बाद उसके कॉन्टैक्ट में आ गई।
हम बातें करते और फोटोज भी शेयर करते।
मैंने मॉम को उसके और उसके लन्ड की फोटो दिखाई तो मॉम ने भी उससे चुदाने की इच्छा जताई।
बस हमें सही वक्त की तलाश थी।
एक बार पापा दो चार दिन के लिए शहर से बाहर गए।
तभी हमने इस प्लान को अंजाम दिया।
मैं मायके जाने का बोल कर घर से कार लेकर निकली और उसको को रास्ते में उठाया।
उसे मैंने ज्यादा कुछ बताया नहीं; मैं उसे कुछ सरप्राइज़ और मजा देना चाहती थी।
हम कार से घर निकल गए।
रास्ते में हम गप्पें लड़ाते और मस्ती करते जा रहे थे।
वो चलती गाड़ी में मुझे छेड़ रहा था।
वह गाड़ी ड्राइव कर रहा था और मैं उसके बगल में बैठ गई थी।
मैंने पर्पल कलर की ट्रांसपेरेंट साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज पहना था।
तभी मैंने उसे कहा- मुझे भूख लगी है!
तो वह बोला- अरे रण्डी मालकिन, मेरे लन्ड का पानी पी … तेरी भूख प्यास सब मिट जाएगी।
मुझे भी अपने एक टुच्चे ड्राइवर के मुंह से ऐसी बातें अच्छी लगती, जिससे मेरी कामुकता और बढ़ती।
वह मुझे ऐसे ही जलील करता और मैं एक सड़क छाप रण्डी की तरह उसका सब सुनती।
यह हमारा रोज का था।
अब गाड़ी चलाते हुए उसने मुझे अपनी जांघ की और खींचा और लन्ड तरफ इशारा किया।
मैं ठरकी औरत!
मैंने झट से उसके कुर्ते को ऊपर उठाया, पजामे का नाड़ा खोल कर अंदर हाथ डाला और उसकी चड्डी नीचे खिसका दी।
अब वह थोड़ा ऊपर उठ गया जिससे मुझे उसका लन्ड बाहर निकालने में मदद हुई।
काली झांटों के बीच में काला मोटा लौड़ा मैंने हाथ में लेकर हिलाया तो वह और भी बड़ा हो गया।
दरअसल मुझे झांटें और उसकी गंध बहुत पसंद हैं, इसलिए मैंने उस को उन्हें रखने बोला था।
मैंने नीचे मुंह घुसा कर पहले उस गंध को सूंघा और जीभ निकाल के उसके लन्ड पर फेरने लगी।
वो आहें भरने लगा।
उसकी झांटों से लाइफबॉय साबुन की खुशबू आ रही थी।
मैं कभी झांटों पर तो कभी उसके लन्ड पर जीभ फेरती।
अब मैंने गप से वह तगड़ा लन्ड मुंह में भर लिया।
साथ ही मैं उसे हाथ से मुठिया रही थी।
मैं उसके सुपारे के एकदम टोपे को जहां पेशाब का छेद होता है, वहां पर जीभ लगाती।
दोस्तो, कितना भी तगड़ा मर्द हो, जब एक औरत की जीभ और मुंह की गर्माहट उसके लौड़े को लगती है तो उसका भी धैर्य जवाब दे जाता है।
वही हाल उसका हुआ।
चलती गाड़ी में ही कसमसाते हुए उस की वीर्य की बूंदें निकल पड़ी।
जो मेरे मुंह और उसके लन्ड से होते हुए मेरे हाथ पर भी गिर गई।
मैंने जितना हो सके उतना वीर्य मुंह में से ही हलक में उतर लिया।
हाथ पर और उसके लौड़े पर गिरा वीर्य मैंने चाट चाट कर साफ़ कर दिया।
उस की आंखों में संतुष्टि की चमक आ गई- क्यों रण्डी मालकिन, कैसा लगा मेरा पानी? तेरी भूख प्यास मिट गई क्या?
मेरे गाल पर चमाट लगा कर बोला।
“अरे ड्राइवर जी, आपके वीर्य से तो मुझे स्वर्ग की अनुभूति होती है। हाय ! जी करता है खा जाऊं आपके लौड़े को!” मैंने कहा।
हंसते हुए हमने सफर जारी रखा।
अब मैंने अपनी साड़ी और पेटीकोट निकाल दिया।
पैंटी हटाकर मैंने अपनी उंगली चूत में घुसा दी।
उंगली करते हुए मैं जल्द ही झड़ गई।
मस्ती करते हुए हम घर पहुंच गए।
मैंने बैग में से एक टी शर्ट और शॉर्ट पहन ली।
शाम के वक्त हम मॉम के घर पहुंचे।
घर पर मॉम के अलावा कोई नहीं था इसलिए मैं वैसे ही सिर्फ एक टी शर्ट और शॉर्ट में ही घर में घुस गई।
वो सामान लेकर मेरे पीछे आ गया।
अंदर जाते ही मॉम ने मुझे गले लगाया।
जल्द ही मैं और वो फ्रेश हो गए।
वो घर पे मॉम को देखकर थोड़ा नर्वस हो गया।
उसे पता नहीं था कि असली मजा तो आगे था।
वो एक कुर्ता और लुंगी लपेटे सोफे पर बैठा था।
चाय पानी करने के बाद मॉम किचन में गई तो मैं भी उनके पीछे पीछे गई।
किचन में जाते ही मैंने मॉम पर हमला बोला।
नाईटी पहनी मॉम को पीछे से ही मैंने पकड़ लिया और उसके बड़े बड़े स्तनों को दबाना शुरू किया।
साथ ही मैं मॉम को पीछे से झटके मार रही थी।
मॉम ने चिकन बनाया था जो उस का बहुत पसंदीदा खाना था।
साथ ही मॉम ढेर सारी दारू लाई थी।
मैंने मॉम को उस को सर्प्राइज देने की बात बता दी।
मॉम ने मेरी हां में हां मिलाई और हम दोनों लण्डखोर मां – बेटी एक दूसरे से लिपट गई।
हम एक दूसरे के होटों से होठ मिलाकर चूसने लगी।
अब उस के सरप्राइज़ की बारी थी।
एक दूसरी से लिपटी हुई हम दोनों किचन से बाहर निकल आई.
तो बाहर उसका हाल बेहाल था।
मैंने मॉम की नाइटी उतार दी।
मॉम अब सिर्फ ब्रा पैंटी में रह गई।
मैंने बंदे की तरफ देख कर उसे आंख मार दी।
उसे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था, वह एकदम हक्का बक्का रह गया।
मॉम मेरी और मैं उसकी गांड पर चमाट मारते हुए लिप किस करते हुए सोफे पर उसके अगल बगल में बैठ गई।
अब उसके समझ में आ रहा था कि यहां चल क्या रहा है।
“मतलब तुम्हारी मां भी एक बड़ी रण्डी है मालकिन!” वह बोल पड़ा।
“अरे उसी से तो ये संस्कार मुझ में आए हैं जी।” मैंने जवाब दिया।
दूसरी तरफ से मॉम पहली बार उस से चिपक गई- अरे बेबी जी, आपके तो मजे ही मजे हैं. मालकिन के साथ उसकी मॉम की चूत भी आपको फ्री में मिलेगी।
मेरी रण्डी मॉम ने कहा।
“सिर्फ चूत ही? मुंह और गांड नहीं मिलेगी बड़ी मालकिन?” उस ने कहा।
“अरे हम दोनों के सारे छेद अब आपके हैं बेबी जी, जो मन करे मांग लो।” मॉम ने कह दिया।
कहते ही मॉम ने उस के दाढ़ी में हाथ फेरते हुए अपना मुंह उसके मुंह में घुसा दिया।
मॉम और वो मस्त होकर चुम्बन करने में व्यस्त हो गए।
इतने में मैंने टीवी चलाया और किचन से शराब और बाकी सामान लाई।
वो मॉम के मम्मे दबाते हुए उनके रसीले होंठ चूम रहा था।
मैंने आवाज देकर दोनों अलग कर दिया।
शराब के पेग बनाकर मैंने तैयार किए।
अब हमने चियर्स कर शराब पीना शुरू किया।
दो दो पेग होते ही हम तीनों पर नशा छाने लगा।
मैं अब उठकर सीधा उसकी गोद में बैठ गई।
मैंने उसका कुर्ता निकाल दिया.
उसने अंदर बनियान नहीं पहनी थी तो उसकी घने बालों वाली छाती मेरे सामने थी।
मैं तो अपना आपा खोकर सीधा उसके चौड़े सीने में अपना मुंह घुसा दिया और उसकी छाती पर अपनी जीभ निकाल कर चाटने में लगी।
उसकी बगल में भी बाल थे, अब मैंने सीधा वहां मुंह डाला।
एक के बाद एक, उसकी दोनों बगलें मैंने चाट दी।
उसने मेरी गांड सहलाता हुआ मेरे चूतड़ों पर जोर जोर से चांटे मारने लगा।
उसके फौलादी हाथ के थप्पड़ों से मेरे चूतड़ों में जलन होने लगी।
मैं तो उस में बिल्कुल खो गई थी।
जितना नजदीकी प्यार मैं मेरे पति से भी नहीं करती, उतना अब मुझे उस से होने लगा था।
बेहोशी में मैं उसके नाक तक को चाटने लगी।
शर्म हया सब कुछ छोड़ छाड़ के मैंने अपने आप को खुद के ही पति के ड्राइवर के हवाले कर दिया।
मैं अपनी शर्ट और शॉर्ट उतार कर मादरजात नंगी हो गई।
अब एक ही झटके में मैंने उसकी लुंगी खोल दी।
उसकी चड्डी को नीचे खिसका कर मैंने उसके लौड़े को आजाद किया।
शराब का नशा मुझ पर चढ़ा था, तो मैं बिना रुके उसके लौड़े पर चढ़ गई, उसके लन्ड को पकड़ कर मैंने एक ही झटके में अपनी चूत में घुसा लिया।
इतना बड़ा लौड़ा और मैंने उसे गीला भी नहीं किया, तो वह मेरी चूत में जलन होते हुए घुस गया।
मेरी आंखों से आंसू निकल आए.
मगर शराब और हवस मुझ पर हावी होने से मैं रुकी नहीं।
इधर सरदार सोफे पर बैठे बैठे अपनी मालकिन की चूत में अपना मूसल लन्ड ठोके जा रहा था, मैं जोर जोर से उसके लन्ड पर उछलने लगी।
मेरे मुंह से कामुक आवाजें निकल रही थी।
अब मॉम भी हमारे खेल में शामिल हुई।
मॉम ने सोफे के पीछे से आकर मेरे मुंह से मुंह सटा दिया।
मैं तो जैसे मस्ती के समंदर में गोते खाने लगी थी।
मेरी बहुत दिनों की फैंटेसी पूरी हो रही थी।
पहलवान जैसा सरदार और मेरी रसीली मॉम हम थ्रीसम सेक्स करने लगे थे।
अब मॉम ने मेरा मुंह छोड़, मेरे पीछे से आ गई।
मुझे पीछे से पकड़ कर मॉम ने मेरे मम्मे दबाने शुरु किया।
साथ ही उसने अपना अंगूठा मेरी गांड में डाल दिया।
मुझे मजा आ रहा था।
मॉम अपना अंगूठा बीच बीच में बाहर निकाल कर मेरे मुंह में देती।
अपनी ही गांड में से निकला अंगूठा और उसपर मेरी गांड की बदबू भी मुझे और मादक लग रही थी।
अब मॉम मुझसे अलग हुई और बाथरूम में जाकर एक डिल्डो अपनी कमर पर बांध कर वापिस आई।
मैंने इसकी उम्मीद बिल्कुल नहीं की थी।
साथ ही वह एक हंटर लाई।
आते ही उसने मेरी पीठ और कूल्हों पर सटासट मारना शुरू किया।
मैं दर्द के मारे बिलबिला उठी।
मगर मॉम एकदम जोश में थी।
मैंने कई बार डिल्डो से उसकी हालत खराब की थी, उसका बदला आज वह ले रही थी।
“साली, बेटी होगी बाद में, बहुत चोदा है तूने मुझे इसी डिल्डो से … आज मेरी बारी है। देख अब ये रण्डी कैसे तुझे चोदती है मेरी बेटी!” मॉम पूरे उफान पर आमादा थी।
“अरे तुम मां बेटी तो दुनिया की सबसे गंदी हो। मैं तो हैरान हूं।” सरदार बोला और जोर जोर से मुझे चोदने लगा।
अब मॉम ने मुझे सरदार के ऊपर झुका कर लिटाया और पीछे से मेरी गांड में वह लगभग छह इंच का डिल्डो एक ही धक्के में घुसेड़ दिया।
मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया।
मॉम उछल उछल कर मेरी गांड मारने लगी।
साथ में हंटर से मुझे पीट भी रही थी।
वो नीचे से मेरे चूतड़ों पर हाथ मार रहा था।
इधर सरदार का मैंने दोपहर ही माल निकाला था तो वह भी झड़ने का नाम नहीं ले रहा था।
मैं एक शक्तिहीन नारी बन चुकी थी, चूत और गांड में लगती ठोकर और साथ में शरीर पर पड़ते हंटर और चूतड़ों पर सरदार के दोहरी मार से मैं असहाय हो चुकी थी।
सरदार जल्दी जड़ जाए, इसलिए मैं उसे उकसाने लगी।
मैंने उसके निप्पल को कुरेदना चालू किया, साथ ही उसे जोरदार किस करने लगी।
मेरी इन हरकतों से सरदार का तगड़ा हथियार जवाब दे गया।
हांफते हुए सरदार उसी पोज़ में मेरी चूत में निढाल हो गया।
उसके माल की गर्माहट मुझे अपनी मुनिया में महसूस हुई।
मैं अनायास ही उसके सीने पर गिर पड़ी।
मॉम भी मेरे ऊपर से उतर गई।
कुछ ही पलों बाद सरदार ने मुझे अपने ऊपर से हटाया।
मैं सोफे के एक कोने में चित लेट गई।
तब उसने मेरी मॉम को बालों को पकड़ कर खींचा और बोला- चल बड़ी रण्डी, मेरा लौड़ा साफ कर और अपनी बेटी की चूत भी!
मॉम ने भी उसका लन्ड चाट कर साफ़ किया और अब वह मेरी चूत की ओर बढ़ी।
मुंह लगाकर मॉम मेरी चूत से मेरा और सरदार का सम्भोग का पानी चाट गई।
सरदार ने वापिस दारू पीना शुरू किया।
मॉम बाथरूम जाकर फ्रेश हो गई और वापिस आकर सरदार के बाजू बैठ गई.
वे दोनों बैठकर दारू पीने लगे।
मैं भी फ्रेश हुई और आकर नीचे उन दोनों के पैर के पास बैठी.
मॉम ने मेरा पेग बनाया और उसमें थूक दिया.
साथ ही सरदार को भी मेरे गिलास में थुकवाकर मेरे हाथ में थमा दिया।
साथ ही वह मेरे मुंह पर पैर से लात मारने लगी।
मेरी सगी मॉम आज मुझसे वहशी बर्ताव करने लगी थी।
मैं एक असहाय, शक्तिहीन नारी होकर उसके पैरों तले बैठ कर उसके जुल्म सहती रही चुदाई का मजा लेती रही.
कुछ देर दारू पीने के बाद हमने खाना खाया और घर के पीछे वाले गार्डन में आ गए।
गार्डन में आते ही मॉम की चूत में खुजली हुई तो उसने सरदार को पकड़ कर वहां एक चेयर पर बिठाया और उसको अपना जिस्म सौंप दिया।
मॉम और परविंदर एक दूसरे को चूमते हुए नंगे हो चुके थे।
चूत में लौड़ा सेट करके मॉम सरदार के लन्ड पर बैठ गई और हिचकोले खाते हुए सरदार का लन्ड खाने लगी।
सरदार मॉम की चूचियों को बेसब्री से मसलने लगा, साथ ही मॉम के मुंह पर चमाट लगाते हुए गाली बकने लगा।
आखिर दस मिनट बाद मॉम सरदार के लन्ड पर से उतरी और उसका लन्ड चूसते हुए उसे झाड़ दिया।
मॉम ने परविंदर का सारा माल पी लिया।
मैं दूर बैठ कर दारू पी रही थी।
बाद में हम तीनों की महफिल सजी और हम दारू पीकर वहीं सो गए।
इस तरह सरदार ने हम दोनों रण्डी मां बेटी को जम कर चोदा और तृप्त कर दिया।
तो दोस्तो, यह थी मेरी थ्रीसम सेक्स कहानी।
मिलती हूं अगली बार मेरी किसी तड़कती फड़कती ठुकाई की दास्तां के साथ।