पड़ोसी और उनके दोस्त से करवायी चुदाई पति की मंज़ूरी से

तीन लोगो ने मिलकर सेक्स का मजा अपने पड़ोस के एक अंकल और उनके एक दोस्त के साथ लिया. अंकल के बड़े लंड से मैं अक्सर चुदती थी पर उस दिन उनका दोस्त भी साथ था.तो दोनों ने मिलकर मुझे चोदा और थ्रीसम किया .
दोस्तों, मैं उर्वशी आपके सामने अपनी चुदाई की कहानी लेकर हाजिर हूँ और मैं आशा करती हूँ कि आप लोगों को यह ज़रूर पसंद आएगी.

मैं अपने पति के साथ बिंदास जीवन व्यतीत करती हूँ और हम दोनों में किसी भी अपनी पसंद के साथी के साथ सेक्स करने की रजामंदी है.
न मैं उन्हें किसी लड़की को चोदने के लिए मना करती हूँ और ना ही वे मुझे किसी भी मर्द के साथ चुदने से रोकते हैं.
हम दोनों में बहुत प्यार भी है पर सेक्स करने की मनमानी आजादी भी है.

यह सेक्स की घटना मेरे साथ पिछले दिनों ही घटित हुई थी जिसमें मैंने पड़ोस में रहने वाले चाचा जी और उनके एक दोस्त के साथ चुदाई करके थ्रीसम सेक्स का मज़ा लिया था.
वे चाचा जी हमारे पास वाले घर में अपनी पत्नी के साथ रहते हैं.
उनकी उम्र 58 वर्ष की है पर दिखने में काफ़ी हट्टे कट्टे सांड जैसे हैं.
मुझे उनकी तरफ देखना बहुत अच्छा लगता है.

हम सब काफ़ी घुल-मिल कर रहते हैं.
यह बात उस दिन की है जब बारिश हो रही थी.
उस दिन शाम को मैं बारिश रुक जाने पर अकेली ही मार्केट गई थी.
उधर से वापस आने के समय बहुत बारिश होने लगी थी.
मैंने अपने पति को कॉल किया तो उन्होंने कहा- मुझे घर आने में देरी हो जाएगी, तुम ऑटो में चली जाओ.

मैं जैसे ही किसी ऑटो को देखने को बाहर निकली तो वहां मुझे पड़ोस वाले चाचा जी मिल गए.
वे अपनी कार लेकर वापस घर की ओर जा रहे थे.
उन्होंने मुझे देखकर कार रोकी और पूछा- यहां क्या कर रही हो?

मैं बोली- मैं यहां सब्जी लेने आई थी और अचानक से बारिश शुरू हो गई. अब किसी ऑटो का इंतजार कर रही हूँ.
चाचा बोले- आ जाओ, मैं भी घर ही जा रहा हूँ … बैठ जाओ कार में!
फिर मैं उनके साथ कार में बैठ गई.
उनके साथ उनके एक दोस्त भी बैठे हुए थे.

दोस्तो, मुझे जब भी मौका मिलता, मैं चाचा जी की सांड जैसी जवानी के नीचे बिछ कर अपनी चूत की रगड़ाई करवा चुकी हूँ.
मतलब मेरी उनके साथ अब तक चुदाई हो चुकी है.
इसीलिए मैं उनके साथ काफ़ी घुलमिल कर बात किया करती थी.

उस दिन पर चाचाजी के दिमाग़ में कुछ नया ही प्लान चल रहा था इसलिए वे कार घर ले जाने की बजाए अपने नज़दीक वाले पुराने घर की तरफ ले जाने लगे.
मैंने पूछा भी- हम यहां क्यों आए हैं?
चाचाजी ने बताया- कुछ काम है, थोड़ी देर में वह काम निपटा कर वापस घर को चलते हैं.
मैंने कहा- ठीक है.

फिर मैं, चाचाजी और उनका दोस्त हम तीनों उनके पुराने वाले घर में गए और वहां चाय नाश्ता किया.
उस बीच चाचाजी के दोस्त को एक कॉल आया तो वे बातें करने उठ कर बाहर की ओर चले गए.
अब मैं और चाचाजी बैठ कर बातें कर रहे थे.
वे धीरे धीरे मेरे करीब आने लगे और मुझे अपनी बांहों में भर कर अपने होंठों को मेरे होंठों से लगा कर किस करने लगे.

मैं भी काफ़ी टाइम से उनसे चुदी नहीं थी तो मेरा भी मन होने लगा.
तो मैं उनके साथ सहयोग करने लगी.
मैं चाचा जी के साथ चुंबन में इतनी ज्यादा मदमस्त हो गई थी कि भूल ही गई कि उनके दोस्त भी वहीं पर हैं. हम बस एक दूसरे में खो गए और एक दूसरे को गर्म करने लगे थे.

चाचा जी मेरे मम्मों को मेरे कपड़ों के ऊपर से ही मसल रहे थे.
मैं भी उनके लंबे और मोटे लंड को पैंट के ऊपर से ही सहला रही थी.
चाचाजी ने धीरे से मेरे ब्लाउज का हुक खोल दिया और ब्रा के ऊपर से दोनों बूब्स को मसलने लगे.

फिर उन्होंने मेरी ब्रा को भी निकाल दिया और अपने मुँह में एक निप्पल को दबोच कर चूसना चालू कर दिया.
मैं भी इतनी ज्यादा गर्म हो चुकी थी कि तेज तेज आहें भरने लगी थी और उनके लंड को पैंट से आज़ाद करके अपने दोनों हाथों से हिला रही थी.
कुछ देर बाद चाचाजी ने मेरा पेटीकोट भी निकाल दिया और लगे हाथ पैंटी को भी निकाल कर मुझे पूरी तरह से नंगी कर दिया.
उन्होंने भी अपने कपड़े उतार दिए और अपना हथियार मेरे मुँह में चूसने को दे दिया.

मैं भी चाचा जी के लंड पर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी और ज़ोर ज़ोर से उनका लंड चूसने लगी.
उन्होंने मुझे सोफा पर लेटा दिया और मेरी चूत को चाटने लगे.
मैं इतनी गर्म हो गई थी कि उनका मुँह अपने हाथों से अपनी चूत पर दबा दबा कर चूत रगड़वा रही थी.
फिर चाचाजी ने अपना लंड मेरी चूत में सैट किया और धीरे धीरे करके जड़ तक पेल दिया.

अब वे धक्के देने लगे.
मैं बस सुधबुध खोई हुई थी और मादक आहें भर रही थी.
उनके लौड़े से तेज तेज चुदवाने के लिए आवाजें कर रही थी.
मेरी चुदाई की आवाजें शायद उनके दोस्त को सुनाई दे गई होंगी इसलिए वे भी तुरंत कॉल कट करके अन्दर आ गए.

हम दोनों को इस हालत में देख कर उन्होंने भी अपने कपड़े उतार दिए और नंगे होकर मेरे पास आ गए.
फिर चाचाजी ने मुझे कुतिया की तरह कर दिया और मेरी गांड को चाटने लगे.
उनके दोस्त भी आगे आ कर मेरी चूत को चाटने लगे.
मैं कुछ वक्त के लिए चाचा जी के लौड़े से चुद भी चुकी थी और दो दो सांड जैसे मर्द देख कर अति उत्तेजित हो गई थी इसलिए मैं भी जल्दी ही झड़ गई.

मेरी चूत का रस उनके दोस्त के मुँह में चला गया.
वे दोनों मिल कर मेरी चूत से निकले रस को चाटने लगे.
फिर हम तीनों बेड पर आ गए.
बेड पर आने के बाद चाचाजी बेड पर लेट गए और उन्होंने मुझे अपने ऊपर आने का कहा.

मैं उनके लंड पर चढ़ गई.
चाचा जी ने मेरी चूत में अपने लंड को सैट कर दिया और नीचे से धक्का देकर अन्दर पेल दिए.
वे मुझे नीचे से ठुमके लगाते हुए चोदने लगे.
मुझे भी उनके लौड़े की सवारी करने में मजा आने लगा.

कुछ पल बाद उनके दोस्त ने अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया और वे मेरा मुँह चोदने लगे.
कुछ देर बार उन दोनों ने अपनी अपनी जगह बदल दी और अब उनके दोस्त मुझे नीचे से चोदने लगे थे और चाचाजी पीछे से मेरी गांड में उंगली कर रहे थे.

मैं समझ गई कि आज मेरा सैंडविच बनने वाला है. मेरे दोनों छेद एक साथ चोदे जाएंगे.
हालांकि मैं पहले भी कई मर्तबा अपने पति से और अन्य दोस्तों से अपनी गांड मरवा चुकी थी तो गांड मरवाने में मुझे कोई आपत्ति नहीं थी.
पर आज यह पहला मौका था जब मेरे दोनों छेद एक साथ चुदने वाले थे.
अपनी सैंडविच चुदाई की कामना तो मेरे मन में कई बार उठी थी लेकिन ऐसा अवसर ही नहीं मिल रहा था, जब एक साथ दोनों छेदों के लिए दो लंड उपलब्ध हों.

जब कॉलेज में पढ़ती थी तब एक सहेली ने मुझे एक डिल्डो दिया था, जो एक साथ दो लड़कियों की चूत को छेद देता था.
उस डिल्डो में हम दोनों सहेलियां अपनी अपनी चूत में लगा कर उससे चुद कर मजा ले लेती थीं.
एक बार उसी सहेली ने मुझे गांड में लंड लेना भी सिखाया था. उसने मेरी गांड में केवाई जैल लगा कर डिल्डो को पेल दिया था और मेरी गांड को लंड के लिए रेडी कर दिया था.

फिर एक बार एक ब्वॉयफ्रेंड के साथ मैंने अपनी सैंडविच चुदाई की कामना जाहिर की थी.
तब उसने मेरी गांड में डिल्डो और चूत में लंड पेल कर मुझे नकली सैंडविच चुदाई का मजा दिया था.
पर आज असली लंड मेरे दोनों छेदों में तबाही मचाने वाले थे.
कुछ देर बाद चाचाजी ने अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया और थूक से गीला करवा कर वे वापस मेरी गांड की तरफ आ गए.

वे मेरी गांड के छेद में सुपारे को सैट करके धीरे धीरे पेलने लगे.
चाचा जी का लंड मोटा और लंबा था और दिक्कत की बात यह थी कि मेरी चूत में उनके दोस्त का लंड अन्दर तक घुसा हुआ था, जिस वजह से गांड का छेद बहुत तंग हो गया था.

चाचा जी ने अपनी एक उंगली से गांड के छेद में अपना थूक लगा कर उसे चिकना कर दिया और सुपारे को ठांस दिया.
आह की आवाज के साथ मीठा सा दर्द हुआ, पर गांड में होने वाली इस परपराहट के लिए मैं तैयार थी.
चाचा जी अपना आधा लंड गांड में पेल कर धक्के देने लगे.

उनके दोनों हाथ मेरी कमर को पकड़े हुए थे और मैं सड़कछाप कुतिया बनी चाचा जी के दोस्त के लंड में अपनी चूत फँसाए कूं कूं कर रही थी.
उनके दोस्त ने मेरी एक चूची को अपने होंठों में दबा लिया था और वे उसकी चुसाई करके मुझे मीठा दर्द दे रहे थे.
उस वक्त मुझे किसी नशे की जरूरत हो रही थी ताकि मैं उन दोनों के लंड से चुदवाते समय अपने दर्द को भूल सकूं.
मैंने चाचा जी से कहा- इधर बोतल नहीं है क्या?

चाचा जी ने कहा- हां, वह तुम्हारे सामने बिस्तर की बगल वाली दराज में रखी है.
मैंने ध्यान दिया तो वह मेरी पहुँच में थी. मैंने हाथ बढ़ा कर दराज खोली और उधर रखी हुई शराब की बोतल को उठा लिया.
अब शराब की बोतल का ढक्कन मैंने अपने मुँह से खोला और उसे एक तरफ फेंक कर बोतल को मुँह से लगा कर लंबा घूंट भर लिया.
तब तक चाचा जी ने हाथ बढ़ा कर बोतल अपने हाथ में ले ली और वे भी घूंट भरने लगे.

शराब के कड़वे घूंट से मुझे राहत मिल गई और मैंने चाचा जी से कहा- एक घूंट और दो अंकल!
चाचा जी ने वापस मेरे होंठों से शराब की बोतल लगा दी.
इस बार उनके दोस्त ने बोतल हाथ में ले ली और वे भी शराब का मजा लेने लगे.
दो तीन बड़े बड़े घूंट लेने से चुदाई की मस्ती बढ़ गई और मेरी गांड में होने वाली परपराहट अब मस्त रगड़ में बदल गई थी.

चाचा जी ने भी अपना पूरा लंड गांड में ठांस दिया था और नीचे से उनके दोस्त ने भी मेरी चूत का हलवा बनाना शुरू कर दिया था.
वे दोनों ही अपनी अपनी तरफ से लंबे लंबे धक्के देने लगे थे और मैं उन दोनों के बीच में सैंडविच बनी चूत और गांड का कचूमर निकलवा रही थी.
करीब दस मिनट के बाद चाचा जी ने गांड से अपना लंड खींचा और अपने दोस्त से बोले- चल, अब तू भी इस रंडी की गांड का मजा ले ले.
मुझे चाचा जी के मुँह से अपने लिए रंडी शब्द सुनना अच्छा लगा और उन दोनों के लंड से निजात पाते ही मैंने वापस बोतल उठा ली.

लंबे लंबे दो तीन घूंट खींच कर मैं चाचा जी के लौड़े की तरफ आई और उनके लंड पर बैठ गई.
चाचा जी ने सिगरेट सुलगा ली थी.
तो मैं उनके हाथ से सिगरेट लेकर कश लगाने लगी और अपनी गांड में उनके दोस्त के लंड के घुसने का इंतजार करने लगी.
चाचा जी का लंड मोटा था जबकि उनके दोस्त का लंड उनसे कुछ कम मोटा था.
मेरी गड्डे की तरह खुली हुई गांड में चाचा जी के दोस्त ने अपना लंड पेला तो लंड लेने में मुझे खास दिक्कत नहीं हुई.

जल्द ही वे दोनों अपने अपने लंड मेरी गांड चूत में चलाने लगे थे.
शराब के नशे की मस्ती चुदाई का मजा दोगुणा कर रही थी.
मैं पुन: उन दोनों के बीच में सैंडविच की तरह चुद रही थी.
वे दोनों सांड जैसे मर्द पूरी ताकत लगाते हुए ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर मेरी चूत और गांड चोद रहे थे.

कुछ देर तक हम तीनों ने ऐसे ही चुदाई की और वापस से अपनी पोजीशन बदलने का तय किया.
इस बार खड़े होकर चुदाई होने लगी.
वे दोनों मिल कर मुझे खूब चोद रहे थे. उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठाया हुआ था और नीचे से उनके लौड़े मेरी गांड और चूत में चल रहे थे.
काफी देर तक हम तीनों ने मिल कर जमकर चुदाई की और एक दूसरे को बहुत मज़े दिए.

लम्बी चुदाई के बाद उन दोनों ने अपना अपना माल मेरी चूत और गांड में ही टपका दिया और मैंने अकेले ही उन दोनों ठरकियों के लंड को निचोड़ दिया था.
सेक्स का मजा लेने के बाद हम तीनों बिस्तर पर कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे से लिपट कर सोए रहे.
फिर मैंने उठकर शॉवर लिया और तैयार हो गई.
नहाने के बाद मैं चाचाजी के साथ वापस घर आ गई.

घर पर आकर अपना फोन देखा तो उसमें मेरे पति के दस मिस कॉल थे.
जब मैंने उनके फोन पर घंटी की तो वे बोले- कहां थीं, मैं कब से फोन लगा रहा था.

मैंने कहा- बारिश में मेरा बैग भीग गया था तो मैं फोन नहीं निकाल सकी और उधर काफी शोर हो रहा था तो घंटी की आवाज सुनाई नहीं दी. आप कहां हैं?
वे कहने लगे- आज मैं अपने दोस्त के घर रुक गया हूँ. सुबह उधर से ही ऑफिस निकल जाऊंगा बेबी. रात को घर नहीं आ पाऊंगा. इसलिए फोन कर रहा था.
मैं समझ गई कि मेरे पति को भी आज कोई माल मिल गई है, जिसके साथ वे मौज मस्ती कर रहे हैं.

मैंने भी चाचा जी के साथ सारी रात मौज उड़ाने का प्रोग्राम बना लिया.
मैंने उन्हें ओके कह कर चाचा जी को वापस अपने घर आने के लिए कह दिया.
चूंकि आजकल चाची जी घर पर नहीं थीं. वे अपने बेटे के पास गई हुई थीं तो चाचा जी अपनी दारू की बोतल लेकर मेरे घर आ गए.

हम दोनों ने सारी रात चुदाई की मस्ती की.
तो दोस्तो, यह मेरी सेक्स की कहानी आपको कैसी लगी, प्लीज जरूर बताएं.

Leave a comment

You cannot copy content of this page