नमस्कार मेरे प्यारे दोस्तो,मैं गोरखपुर की रहने वाली हूँ. मेरा नाम सुनीता है और मैं 43 साल की एक मदमस्त गोरी चिट्टी औरत हूँ। मैं बहुत सुन्दर भी हूँ और बोल्ड भी!
मुझे सजने संवरने का बड़ा शौक है। मेरा जिस्म बड़ा सेक्सी है। मेरे मम्मे बड़े बड़े हैं, कमर पतली है, मस्त उभरी हुई गांड है और मोटी मोटी जांघें हैं। मैं एक सेक्सी औरत हूँ और इतनी चुदाई के बाद भी मेरी चूत अभी भी टाइट है।
मेरी चूत मेरी बड़ी बेटी नैना की चूत की तरह ही है जो इस समय 26 साल की है। न मेरी चूत अभी ढीली हुई है और न मेरे मम्मे! ब्रा के अंदर से मेरे बड़े बड़े दूध लोगों को अपना लण्ड सहलाने के लिए मजबूर कर देते हैं।
मैं हमेशा मेकअप में रहती हूँ। ब्यूटी पार्लर खूब जाती हूँ, बाल कटवाती हूँ और झांटें भी बनवाती हूँ।
हूँ मैं 43 साल की लेकिन 30 साल से ज्यादा की नहीं लगती।
मुझे देख कर कोई कह नहीं सकता कि मैं 3 बच्चों की माँ हूँ।
जी हां मेरी बड़ी बेटी नैना 25 साल की है, छोटी बेटी मीना 22 साल और मेरा बेटा जतिन 20 साल का है।
मेरे पति का नाम पवन कुमार है, वे 50 साल के हैं। उनका ज्वैलरी का करोबार है तो पैसे की कोई कमी नहीं मेरे पास!
पर दुर्भाग्य से उन्हें शुगर की बिमारी है इसलिए मुझे उनका बहुत ख्याल करना पड़ता है।
उसकी दवाई हमेशा चलती रहती है।
अब मैं आपको अपने मन की बात बता रही हूँ कि मेरा पति मुझे ठीक से चोद नहीं पाता।
ना ही मुझे उसका लण्ड पसंद है और ना ही मुझे उसके चोदने की स्टाइल।
इसलिए मैं तो पराये मर्दों से चुदवाती हूँ।
अब आप कहेंगे कि तो फिर 2-2 बच्चे कैसे हो गए?
इसका जबाब न पूछो तो अच्छा ही है।
बच्चे पैदा करने के लिए एक मजबूत लण्ड चाहिए बस!
लण्ड किसका था यह मत पूछो।
मैं अक्सर दिल्ली जाती रहती हूँ। कभी घूमने फिरने के लिए तो कभी शॉपिंग या कभी किसी और काम के लिए।
कभी मैं अपनी बेटी के साथ जाती हूँ तो कभी अकेली ही चली जाती हूँ।
मैं आज की महिला हूँ। न मैं किसी से शर्माती हूँ और न मैं किसी भोसड़ी वाले से डरती हूँ।
मेरे मन में जो आता है वह मैं करती जरूर हूँ।
एक दिन ऐसे ही मैं दिल्ली की बाज़ार में घूम रही थी तभी मेरी नज़र एक मस्त जवान लड़के पर पड़ी।
लड़का बहनचोद इतना गोरा चिट्टा और हैंडसम था कि उसे देखते ही मेरी चूत गीली हो गई।
मेरा दिल उस पर आ गया।
मेरे मन में आया की मैं उसे कहीं ले जाकर उसका लण्ड पकड़ लूँ। दोस्तो, मैं आपको सच बता रही हूँ कि मुझे लण्ड पकड़ने का जबरदस्त शौक है।लण्ड चाहे जिसका हो, मैं उसे मौक़ा पाकर पकड़ ही लेती हूँ।
जब तक मैं लण्ड पकड़ नहीं लेती तब तक मुझे चैन नहीं मिलता.
इस लड़के के साथ मेरे मन में यही सब चल रहा था।
इधर मेरा मन उसका लण्ड पकड़ने के लिए मचल उठा, उधर मेरी चूत ससुरी मुझे तंग करने लगी कि इसका लण्ड जल्दी से पेलो मेरे अंदर!
बस इसी उत्तेजना में मैं आगे बढ़ी और उससे बातें करने लगी।
उसने मुझे गौर से देखा और बोला- अरे आंटी, मुझे ऐसा लगता है कि मैंने आपको कहीं देखा है?
मैंने कहा- मैं गोरखपुर की रहने वाली हूँ और यहाँ जब कब आती रहती हूँ।
वह बोला- तो मैंने आपको यही दिल्ली में ही देखा होगा क्योंकि मैं भी शौपिंग करता रहता हूँ, मेरा नाम अजीत है।
बस फिर क्या … हमारी बातें और ज्यादा होने लगीं।
मैं बीच बीच में अपना पल्लू गिरा गिरा कर अपने बड़े बड़े मम्मे दिखाने लगी।
फिर मैंने कहा- देखो अजीत, तुम मेरे साथ चलो। मैं जब यहाँ आती हूँ तो एक दिन के लिए एक होटल बुक करा लेती हूँ।
मैं उसे होटल में ले आयी, उसे प्यार से बैठाया।
मैंने कहा- बोलो क्या पियोगे, चाय पियोगे या काफी, व्हिस्की पियोगे या बियर?
मैंने पल्लू गिरा कर कहा- मैं तुम्हें ताज़ा दूध भी पिला सकती हूँ।
वह हंस कर बोला- आप जो पिला देंगी, मैं वही पी लूंगा।
फिर मैंने बियर का आर्डर दिया।
तब तक मैंने अपने कपड़े उतारे और एक फीता वाला गाउन पहन कर बैठ गयी।
मैं मादरचोद अंदर से बिलकुल नंगी थी।
फिर हम दोनों मस्ती से बियर पीने लगे।
मैंने पूछा- तुम करते क्या हो विशाल? तुम्हारी उम्र कितनी है?
वह बोला- मैं इंडस्ट्री में यूज़ होने वाली धातुओं का व्यापार करता हूँ और मेरी उम्र 26 साल है।
मैं उससे खुल कर बात करने लगी।
मैंने कहा- बुरा न मानो तो एक बात पूंछूं? लेकिन जबाब सच सच देना, झूठ नहीं बोलना!
वह बोला- हां पूछो, मैं सच बोलूंगा।
“कभी किसी लड़की ने सेक्स किया तुम्हारे साथ? कभी कोई लड़की चोदी है तुमने?”
मैं यह सवाल पूछ कर उसकी शर्म मिटाना चाहती थी, उसके लण्ड में आग लगाना चाहती थी मैं क्योंकि मेरी निगाह तो उसके लण्ड पर ही लगी हुई थी।
इधर वह मेरे बड़े बड़े मम्मे लगातार देखे जा रहा था।
चूचियाँ भी मेरी एकदम तनी हुई थीं।
वह थोड़ा रुका, फिर बोला- हां, एक लड़की के साथ किया है सेक्स!
“मज़ा आया तुम्हें उसके साथ सेक्स करने में? उसने लण्ड मज़े से पेलवा लिया या नखरे किये?”
“नहीं नखरे तो नहीं किये, मजे से पेलवा लिया क्योंकि उसका भी मन था चुदने का!”
“इसका मतलब तुम्हें चोदना आता है।”
“अब मुझे एक सवाल का और जबाब दे दो बस, उसको तुम्हारा लण्ड पसंद आया था या नहीं?”
“उसे तो बहुत पसंद आया था!”
“तब तो मैं भी पकड़ कर देखूंगी तेरा लण्ड अजीत… क्योंकि तेरा लण्ड देखने लायक है। मैं हर वह चीज देखती हूँ जो देखने लायक होती है।”
ऐसा कह कर मैंने उसकी चुम्मी ले ली और उसकी जांघ पर हाथ फेरने लगी।
उसका भी हाथ मेरे मम्मों तक पहुँच गया।
मैंने गाउन का फीता खोल दिया तो मेरे दोनों मम्मे नंगे हो गए।
वह उन्हें बड़े मजे से सहलाने लगा।
मैंने उसकी कमीज उतार दी और बनियान भी खोल डाली।
उसकी नंगी चौड़ी छाती देख कर मैं उस पर मोहित हो गई।
फिर मैंने उसकी पैंट खोल कर फेंक दी।
उसकी चड्डी के ऊपर से ही लगा कि लण्ड उसका खड़ा है और बड़ा मस्त है।
मैंने चड्डी के ऊपर से ही उसे सहलाया चूमा और कहा- अजीत लगता है, तेरा लण्ड भी काफी बड़ा है।
फिर मैंने झट से उसकी चड्डी भी खींच कर उतार ली।
अब उसका छोटी छोटी झाटों वाला लण्ड मेरे सामने तन कर खड़ा हो गया।
मैंने लण्ड हाथ में लिया, उसका सुपारा चाटा, बड़े प्यार से उसकी चुम्मी ली.
तभी मैंने कहा- वाह, क्या मस्त लौड़ा है तेरा विशाल। मज़ा आ गया इसे पकड़ कर! मोटा भी है और लंबा भी!
उसने मेरा गाउन उतार कर फेंक दिया और मेरी चूत सहलाने लगा.
फिर वह बोला- आपकी चूत क्या एकदम मक्खन मलाई है आंटी!
उसने मुझे अपने नंगे बदन से चिपका लिया।
मैं भी बड़े प्रेम से चिपक गयी।
उसका लण्ड मेरी जाँघों से टकराने लगा और मेरी चूचियाँ उसकी छाती से!
मैंने कहा- तेरा भोसड़ी का लण्ड बड़ा कड़क है यार!
तब मैंने अपना मुंह उसके लण्ड की तरफ कर लिया और उसने अपना मुंह मेरी चूत की तरफ।
मैं उसका लण्ड चाटने लगी और वह मेरी चूत चाटने लगा।
हम दोनों 69 बन कर सेक्स का मज़ा लेने लगे।
मैं इस बात से और खुश थी कि मुझे एक और पराये मर्द का लण्ड मिल गया है।
मैंने महसूस किया कि अजीत को बुर चाटने का अनुभव है। इसे बुर चोदने का भी अच्छा खासा अनुभव होगा। उसने मेरी चूत में दो उंगली घुसेड़ दी और बोला- बाप रे बाप, बड़ी गर्म है आपकी चूत आंटी!
मैंने कहा- तो फिर लण्ड पेल दे न अपना भोसड़ी के विशाल, देर किस बात की?
उसने घूम कर सच में भक्क से पेल दिया लण्ड मेरी चूत में।
मेरे मुंह से निकला- हाय रब्बा … मर गई मैं! बड़ा मोटा है तेरा मादरचोद लण्ड!
जबकि मैं अच्छी खासी चुदी हुई थी।
उसका लण्ड वाकई कमाल का था।
मैं मस्त होकर एक चुदक्कड़ रंडी की तरह चुदवाने लगी।
मेरे मन में ख्याल आया कि अगर यह लण्ड मेरी बड़ी बेटी नैना को मिल जाए तो उसे भी चुदवाने का मज़ा मिलेगा.
तो इसके लण्ड का मज़ा मुझे भी मिलता ही रहेगा.
हम दोनों साथ साथ तो चुदवा नहीं सकती और न ही हम दोनों माँ बेटी आपस में इतनी खुली हुईं हैं।
मैं चुदाई का मज़ा लूटने लगी और सोचने भी लगी।
हम दोनों का यह पहला मौक़ा था। उत्तेजना हम दोनों में बहुत ही ज्यादा थी इसलिए हम दोनों लगभग एक साथ ही खलास हो गए।
मेरी चूत ढीली हो गई और उसका लण्ड भी वीर्य उगलने लगा जिसे मैं बड़ी मस्ती और प्यार से चाट गयी।
फिर मैंने सोचा कि मैं अजीत की शादी अपनी बेटी नैना से कर दूँगी तो मुझे भी अजीत से चुदवाने का मौक़ा मिलता रहेगा।
मैंने अजीत को अपनी बेटी से मिलवा दिया.
उसे नैना एक ही नज़र में पसंद आ गयी तो उसने शादी के लिए हां कह दी।
उसने सोचा होगा कि अभी तो मैंने माँ चोदी है अब बेटी भी चोदूंगा।
फिर क्या नैना और अजीत की शादी हो गयी।
उनकी सुहागरात हो गयी।
नैना खुश थी तो मैं समझ गयी कि उसे अजीत का लण्ड पसंद आ गया।
अब जब नैना ससुराल में होती तो मैं अजीत को बुला कर उससे चुदवाती और नैना जब मेरे पास होती तो मैं मीत को किसी होटल में ले जाकर उसका लण्ड अपनी चूत में ठुकवा लेती।
हम दोनों का यह सिलसिला चलता रहा।
किसी को कोई कानों कान खबर नहीं हुई।
इसी बीच मेरी छोटी बेटी मीना ने सौरव से प्रेम विवाह कर लिया।
वह मस्ती से सौरव से चुदवाने लगी।
कुछ दिन के बाद मेरे बेटे की भी शादी स्वाति नाम की एक लड़की से हो गयी।
वह बहू बन कर मेरे घर आ गयी।
उधर मेरे पति की हालत ख़राब होने लगी, उसका शुगर बढ़ गया।
उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया लेकिन हम लोग उसे बचा नहीं सके।
उसके बाद तो मैं और आज़ाद हो गयी।
मेरा गैर मर्दों से चुदवाने का काम और जोरों से चलने लगा।
मुझे और नए नए लण्ड मिलने लगे मगर मैं अजीत का लौड़ा भुला नहीं सकी।
अब तो वह मेरा दामाद बन चुका था, फिर भी मैं उससे चुदवाने का कोई भी मौक़ा छोड़ती नहीं थी।
मेरे लिए तो वह मेरी बुर चोदने वाला मेरा यार ही था।
वह भी कभी माँ को चोदने का मज़ा, कभी बेटी चोदने का मज़ा लेता रहा।
अच्छी बात यह थी कि उसे दोनों की चूत बड़ी अच्छी लगती थी।
वह भोसड़ी का अपनी बीवी की माँ चोदने का मज़ा खूब लेता रहा।
एक दिन मुझे उसके लण्ड की बड़ी याद आ रही थी।
मेरी चूत उसके लण्ड का इंतज़ार कर रही थी।
और संयोग देखिये की वह आ भी गया।
वह अकेला था।
मैंने उसकी खूब आव भगत की।
फिर मैं बड़े मजे से उसे बेड पर ले गई और उसका लौड़ा खोल कर बड़े प्यार से हिलाने लगी, साथ ही साथ अपने और उसके कपड़े भी उतारने लगी।
देखते ही देखते वह भी नंगा हो गया और मैं भी नंगी हो गयी।
हम दोनों वासना में डूबे हुए थे। मैं नंगी मस्त होकर उसका लण्ड चूसने लगी।
वह भी आँखें बंद किये हुए मुझसे अपन लण्ड चुसवाने का आनंद लेने लगा।
कुछ देर बाद उसने लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया।
मैं नीचे, वह ऊपर … वह मुझे धकाधक चोदने लगा।
और मैं भी उचक उचक कर रंडी की तरह चुदवाने लगी।
तभी अचानक मेरी बहू खिड़की के पास आ गई।
उसने साफ़ साफ़ देख लिया कि मेरी सास अपने दामाद से खुल्लम खुल्ला चुदवा रही है।
अब मैं न तो मैं वहां से भाग सकती थी और न ही अपनी चुदाई रोक सकती थी।
मैंने सोचा कि अब मैं अच्छी तरह चुदवा लूंगी तभी यहाँ से निकलूंगी।
बाकी जो होगा उसे देख लिया जायेगा।
मेरी बहू ने मेरी पूरी चुदाई देखी।
उसने उसी दिन यह बात अपने पति को यानि मेरे बेटे को बता दी कि तेरी माँ के नाज़ायज़ रिश्ते अजीत से हैं।
मेरे बेटे ने मुझसे पूछा तो मैंने जबाब दिया- अरे बेटा, भला ऐसा कहीं हो सकता है? दामाद तो बिल्कुल बेटा जैसा होता है।
उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध तो कोई सोच भी नहीं सकता. और फिर मेरी उम्र तो देखो? कहाँ मैं और कहाँ अजीत! उस बिचारे को क्यों बदनाम कर रही है तेरी घरवाली?
मेरी बात पर मेरे बेटे को विश्वास हो गया।
मैंने पलट कर कहा- मुझे तो लगता है कि इसके शारीरिक सम्बन्ध खुद मेरे दामाद से हैं। यह खुद अजीत के साथ सेक्स करती है और बदनाम मुझे कर रही है।
मेरे बेटे को मेरी बातों पर यकीन हो गया।
उसने अपनी बीवी स्वाति को खूब फटकारा और उसे घर से निकाल कर उसे अपने मायके भेज दिया।
मैं मन ही मन बड़ी खुश हुई क्योंकि वह मेरे जाल वह फंस गयी थी।
अब इसका नतीजा यह हुआ कि अजीत की नीयत मेरी छोटी बेटी मीना पर ख़राब हो गई।
मीना तब तक वाकई बड़ी खूबसूरत हो गई थी।
उसके मम्मे बड़े बड़े हो गए थे और मस्त सुडौल भी!
वह बहुत हॉट दिखने लगी थी।
अजीत उस पर मरने लगा। उसने सोचा कि मैं अपनी सास का भोसड़ा चोदता हूँ तो उसकी बिटिया की बुर क्यों न चोदूँ?
उसने मुझ पर दबाव डालना शुरू किया कि मुझे अपनी छोटी बेटी मीना की बुर दिलवाओ. नहीं तो मैं तेरे काले कारनामे सबको बता दूंगा। तुम्हें बुरी तरह बदनाम कर दूंगा।
उसका दबाव इतना बढ़ा की मुझे कुछ करना ही पड़ा। एक दिन मीना मेरे घर में थी उसका पति सौरव नहीं आया था.
उधर सौरव भी आ गया।
रात होने को आई तो अजीत ने फिर मेरे कान में कहा- आज मौका है, मुझे मीना की फुद्दी दिलवाओ सासू जी।
मैंने मीना से खुल कर कहा- बेटी मीना, आज तुम अपने जीजू के कमरे में सो जाओ।
उसने सुन लिया मगर कुछ बोली नहीं।
मीना रात को मीत के कमरे में चली गयी।
करीब एक घंटे के बाद मैंने झाँक देखा कि मीना अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी अजीत का लण्ड चाट रही है और अजीत उसकी चूत सहला रहा है।
मेरे मन में आया जो लण्ड मैं चाटती हूँ आज वही लण्ड मेरी छोटी बेटी चाट रही है।
मीना बुरचोदी वैसे ही लण्ड चाट रही थी जैसे मैं चाटती हूँ।
मैं समझ गयी कि मीना भी मेरी ही तरह पराये मर्दों से चुदवाती है।
जैसी भोसड़ी वाली उसकी माँ … वैसी ही उसकी बुरचोदी बेटी।
अजीत को भी उसे चोदने में बड़ा मज़ा आया।
उसने मीना की बुर रात में तीन बार चोदा।
इधर मैंने एक और चाल चली।
मैं अपने छोटे दामाद सौरव पर डोरे डालने लगी, उसको पटाने लगी।
मुझे एक दिन मौक़ा भी मिल गया. रात में हम दोनों के अलावा कोई और घर में नहीं था।
मैंने अपना रूप दिखाया उसे अपनी चूचियाँ दिखा कर और उससे गन्दी गन्दी बाते करके उसके लण्ड में आग लगाई।
फिर बड़ी बेशर्मी से मैंने अपना हाथ उसके पजामे में घुसेड़ दिया।
उसको नंगा करके उसका लण्ड बाहर निकाल लिया।
लण्ड देख कर तो मैं मस्त हो गई। मैंने पाया कि सौरव का लण्ड अजीत के लण्ड से ज्यादा मोटा है और मुझे मोटे लण्ड बहुत पसंद हैं।
फिर क्या … मैं भी मादरचोद उसके आगे नंगी हो गई और रात भर उसके मस्ताने लंड का मजा लिया।