यह कहानी मेरी भाभी की चुदाई की कामुकता की कहानी है, सेक्स से भरपूर है.
रात के नौ बजे थे, बहुत दिन हो चुके थे सविता भाभी ने भइया से चुदाई नहीं करवाई थी. भाभी को भैया के लंड से चुदने में मजा नहीं आता था क्यूँकि भैया ज़्यादा देर तक भाभी को चोद नहीं पाते थे.
एक दिन मैंने भाभी को फ़ोन पे किसी से बाते करते सुना और मैं वही छुपकर उनकी बाते सुनने लगा.
सविता भाभी- हैलो … बहादुर को बुलाएंगे क्या एक बार?
उधर से आवाज आई- आप कौन बोल रही हैं?
सविता भाभी- बोल देना कि सविता का फोन है.
दुकानदार ने बहादुर को बुलाने के लिए एक लड़के को भेजा.
लड़के ने कहा- बहादुर सेठ, किसी सविता का फोन है आपके लिए.
बहादुर ने जो काम था, वो बाजू मे रख कर तुरंत जाकर फोन लिया- हैलो जानेमन!
सविता भाभी- बहादुर कहां पर हो तुम, मेरी याद आती है या नहीं?
बहादुर – ओह जानेमन, तुम्हें कैसे भूल सकता हूँ मैं. बिस्तर पर जब भी जाता हूं तुम्हारे बदन की वो याद और महक लेकर ही सोता हूं, तुम ही हो जो मेरे सपनों में आकर हमेशा वो नॉटी वाली तकलीफ दे कर मेरी नींद हराम कर देती हो.
सविता भाभी- सच्ची बहादुर , मेरे नॉटी बहादुर … गुन्डाराज … मैं भी तुम्हें और तुम्हारी गर्माहट को मिस कर रही हूं
बहादुर – ओह भाभी, तुम भी ना… आज रात तुम्हारे घर पर आता हूं मैं. लेकिन भाभी तेरा पति भी तो घर पर है. रात को भी तू बाहर नहीं निकल पाती है.
सविता भाभी- बहादुर , मेरे पास एक आइडिया है. आज ये शराब पीने के मूड में है. तुम ऐसा करना कि रात के ग्यारह बजे तक आना.
मैं रात को दरवाजा खुला ही रखूंगी. तुम चुपके से मेरे घर में अंदर आकर बिजली का मेन स्विच बंद कर देना. मैं लाइट जाने का बहाना करके तुम्हारे पास आ जाऊंगी और तुम्हारी बांहों में खुद को सौंप दूंगी.
बहादुर – सच में भाभी, तुम्हारे दिमाग को तो मानना पड़ेगा. क्या दिमाग लगाती हो तुम मेरी चुदक्कड़ भाभी. मुझे भी भाभी की चूत का पानी पीने की प्यास बहुत दिनों से सता रही थी. आज रात को मैं बेसब्री से इंतजार करूंगा मेरी सेक्सी भाभी.
फोन को रखने के बाद बहादुर ने दुकानदार को देखा.
दुकानदार बोला- क्या माल पटा कर रखी हुई है तूने बहादुर .
बहादुर – हां यार, क्या बताऊं, मैंने बहुत सी लड़कियों और औरतों को पटा कर चोदा हुआ है लेकिन यह जो सर्विस देती है वो कोई और नहीं देती. साली बिना कॉन्डम के ही मेरे लंड से चुदवा लेती है. कई बार तो मुझे डर भी लगता है कि कहीं कुछ हो न जाये लेकिन मैं खुशनसीब हूं कि अभी तक कुछ नहीं हुआ है.
रात के 11 बजे बहादुर घर पर पहुंच गया और देखा कि सविता भाभी एक सेक्सी सा गाउन पहने हुए खड़ी हुई थी. मैं ये सब छुपाकर देख रहा था. भाभी ने बहादुर सेठ को हमारे घर के पास आते हुए देख लिया था. उन्होंने भइया को बोला कि अब बंद भी करो. भइया दारू पीने में लगे हुए थे.
भाभी का इशारा बहादुर की तरफ था. बंद तो उसको अपने घर की बिजली करवानी थी. भाभी ने बहादुर को आंख मार दी. बहादुर ने बिजली बंद कर दी और भाभी ने बहादुर को दूसरे रूम में जाने के लिए चुपके से बोल दिया.
लाइट बंद होते ही भइया की दारू में भंग पड़ गया. वो उठ कर अपने बेड पर चले गए. पांच मिनट के अंदर ही भइया के खर्राटों की आवाज आना शुरू हो गई.
बहादुर भी ताक में था कि कब भाभी का पति सोयेगा और वो अपना काम शुरू करेगा.
जैसे ही बहादुर को पता चला कि भैया सो चुका है तो पीछे से आकर उसने भाभी को अपनी बांहों में लपक लिया और उसकी गर्दन पर चूमने लगा. भाभी भी बहादुर की बांहों में आते ही चुदासी हो गई.
भाभी की गांड को छूते ही बहादुर का मोटा लंड तनना शुरू हो गया और भाभी की मोटी गांड के बीच में अपनी जगह तलाशने लगा.
बहादुर ने अपने तने हुए लंड को भाभी की गांड की दरार के बीच में घुसा दिया. कपड़ों के ऊपर से ही जब बहादुर का लंड भाभी की गांड पर लगा तो भाभी मचल सी गई. उसने पलट कर बहादुर के होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
बहादुर ने भाभी की कमर पर अपनी बांहों का घेरा बना दिया और उसको अपने आगोश में जकड़ लिया.
उसके बाद उसने भाभी को फिर से पलटा और अपना खड़ा हुआ लंड भाभी की गांड में घुसाने लगा और आगे की तरफ हाथ ले जाकर भाभी के मोटे चूचों को दबाने लगा.
भाभी के मुंह से सिसकारी बाहर आना चाहती थी लेकिन साथ में ही पति सो रहा था इसलिए भाभी बड़ी मुश्किल से खुद को रोक कर रखे हुए थी.
बहादुर जोर से भाभी के चूचों को दबा रहा था. उसका लंड अपने पूरे आकार में आ गया था. जब भाभी से रहा न गया तो भाभी ने पीछे हाथ ले जाकर बहादुर के लंड को उसकी पैंट के ऊपर से पकड़ लिया और उसको सहलाने लगी.
भाभी के हाथ में लंड आते ही बहादुर की हवस और ज्यादा भड़क गई और वो भाभी को बुरी तरह से काटने लगा.
भाभी ने कहा- चलो अंदर चलते हैं. ये शराबी तो अभी नहीं उठने वाला. बहुत दिनों से तुम्हारे लंड के लिए तड़प रही हूं.
बहादुर ने भाभी को अपनी गोद में उठा लिया और फिर कमरे में अंदर ले गया लेकिन चुदाई की जल्दबाजी में वो लोग कमरे को अंदर से लॉक करना भूल गये.
लाइट भी नहीं थी इसलिए सोचा होगा कि वैसे भी अंधेरे में क्या कुछ पता लगने वाला है. बेडरूम का दरवाजा बंद किये बिना ही वो चूमा-चाटी में लग गये.
अंदर जाते ही भाभी ने बहादुर की शर्ट और पैंट उतरवा दी और फिर सोफे पर उसको बिठा दिया.
बहादुर का लंड उसके अंडरवियर में तना हुआ था. बहादुर ने अपना अंडरवियर भी उतार दिया और वो सोफे पर बैठा हुआ नंगा हो गया.
उसका लंड उसकी जांघों के बीच में ऐसे तना हुआ था जैसे बिल से निकल कर सांप फन उठाये खड़ा हो.
फिर भाभी ने अपने कपड़े उतार लिये और नंगी होकर बहादुर की गोद में आकर बैठ गई.
बहादुर का तना हुआ लौड़ा भाभी की गांड के नीचे दब गया. गोद में बैठी हुई भाभी के चूचों को मुंह लगा कर ऐसे पीने लगा जैसे बहुत दिनों से किसी को पानी नसीब नहीं हुआ हो लेकिन यहां पर दूध निकालने की कोशिश की जा रही थी. वो जोर से भाभी के चूचों को पीने में लगा हुआ था भाभी के मुंह से सीत्कार फूट रहे थे.
बहादुर का लंड भाभी की गांड के नीचे उसकी चूत में जाने के तड़प रहा था. इधर भाभी की गांड भी बहादुर के लंड पर उछलने के लिए बेताब हुई जा रही थी.
फिर बहादुर ही बोल पड़ा- बस भाभी बस … अब और क्यूं तड़पा रही हो. इस पर उछलो ना …
भाभी बोली- आह्ह बहादुर … तुम मेरे मन की बात कैसे जान लेते हो. मैं तो खुद तुमसे कहने वाली थी कि अब अंदर डाल दो. मेरी चूत ने पानी निकाल कर पूरी तैयारी कर ली है.
फिर भाभी ने अपनी टांगों को फैलाते हुए बहादुर के तने हुए लौड़े पर अपनी चूत को सेट किया उसके तगड़े लंड को अपनी चूत में लेते हुए बैठती चली गई.
भाभी की गीली चिकनी चूत में बहादुर का लंड उतरने लगा और पूरा का पूरा लंड उतरते ही भाभी और बहादुर के मुंह से एक साथ आह्ह … निकल गई.
लंड पूरा का पूरा चूत में उतर गया था और भाभी अब बहादुर के लंड पर उछलने की तैयारी कर रही थी. भाभी ने बहादुर के गले में बांहें डाल दीं और बहादुर के लंड पर उछलना शुरू हो गई. बहादुर ने भाभी के चूचों को मुंह में भर लिया.
“उम्म्ह … अहह … हय … ओह … मेरी जान … मेरी रानी … तुम्हारी गर्म चूत में लंड देकर तो मैं दुनिया ही भूल जाता हूं.”
भाभी बोली- स्सस् … मेरे राजा … तुम्हारा लंड मेरी चूत की प्यास और बढ़ा देता है. मैं इसको खा जाऊंगी … आह्ह् … चोदो मुझे मेरे राजा … आह्हह …
दोनों ही मस्ती में सेक्स का मजा लेने लगे. उछलने के कारण भाभी की चूड़ियां खन-खन कर रही थीं. भाभी की चूत पच-पच कर रही थी और दोनों की जुबान आह् … आह … कर रही थी.
अपने मजे में वो ये भी भूल गये कि घर में कोई और मर्द भी सो रहा है. वो दोनों चुदाई में खोये हुए थे.
लेकिन इसी बीच भइया नींद से उठ गए. भाभी की चूड़ियों की खन-खन सुन कर उनको शक हो गया ये आवाज कहां से आ रही है. साथ में ही सविता भाभी के मुंह से जो सीत्कार निकल रहे थे उनकी आवाज भी भइया ने झट से पहचान ली.
भैया तुरंत उठ कर रसोई में गए और लैम्प जला कर दूसरे बेड रूम की ओर जाने लगे.
जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला तो देखा कि उनकी बीवी किसी और के लौड़े की सवारी कर रही है.
जैसे ही लैम्प की रोशनी कमरे में पहुंची तो सविता भाभी और बहादुर की गांड फट गई. दोनों को ही भइया ने चुदाई करते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया था. वो हक्का-बक्का होकर भइया को देखते ही रह गया.
उनको अंदाजा नहीं था कि भइया नींद से जाग भी सकता है. मगर भैया ने नंगी भाभी को गैर मर्द के लौड़े के ऊपर देख लिया था.
भैया बोले- साली तू यहां पर किसी और के लंड से ठुकवा रही है. साली रांड. मेरी मां ने सही कहा था तेरे बारे में. वो मुझे बोल कर गई थी कि अपनी बीवी का ध्यान रखना. उस वक्त मैं मां की बात को हल्के में ले गया. लेकिन तू साली चुदक्कड़ यहां दूसरे के लंड के साथ रंगरेलियां मना रही है.
भले ही भइया ने उन दोनों को देख लिया था लेकिन अभी भी बहादुर का लंड सविता भाभी की चूत में ही था और उसने अपनी मलाई सविता भाभी की चूत में गिरा दी थी. लेकिन बस भैया के आने के कारण धक्के बंद हो गये थे.
सविता भाभी को भी अहसास हो गया था कि बहादुर का माल चूत में निकल चुका है इसलिए उसको एक अलग ही नशा सा चढ़ा हुआ था. भइया की बातों का उस पर कोई खास असर नहीं हो रहा था.
इधर भैया सविता को गालियां दे रहे थे. साली, तेरी इतनी हिम्मत हो गई कि तू गैर मर्द को मेरे ही घर में बिस्तर पर ले आई.
सविता भाभी बोली- तो क्या करती मैं? तुम्हारे लंड से मेरी चूत की प्यास नहीं बुझती है. तुम तो दो धक्के लगा कर एक तरफ हो जाते हो.
भइया – तो साली, सांड का लंड क्यूं नहीं ले लेती.
भाभी बोली- मैं तो बहादुर का ही लूंगी. तुमको जो करना है कर लो.
सविता भाभी ने बहादुर की तरफ देख कर कहा- तुम रुक क्यों गये. इस नामर्द से डरने की जरूरत नहीं है. तुम चुदाई चालू रखो.
बहादुर बोला- लेकिन मेरे लंड का माल चूत में निकल चुका है.
भाभी ने बहादुर के मुंह पर एक तमाचा मारा और उठ कर झल्लाती हुई नंगी ही कमरे से बाहर निकल गई.
बहादुर भी उठ कर अपने कपड़े लेकर दरवाजे की तरफ भागा तो भइया ने लैम्प बहादुर की गांड पर फेंक कर मारा. बहादुर की गांड पर गर्म लैम्प लगा लेकिन वो गांड को मलते हुए घर से बाहर भाग गया.
उसके बाद भैया सविता भाभी के कमरे की तरफ गए लेकिन सविता भाभी ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया था. भइया अपना सिर पीटते हुए दूसरे कमरे में जाकर लेट गया.