मेरे चाचा ने माँ को घर में दौड़ा दौड़ा कर चोदा और फाड़ी माँ की चूत

दोस्तों, आप सभी को मेरा बहुत बहुत नमस्कार! मेरा नाम हिमांशु है और मैं आज आप सभी को अपनी सच्ची घटना आपको बताना चाहता हूँ। 

बात उन दिनों की है जब मेरे पापा काम के सिलसिले में शहर से बाहर रहते थे। घर पर सिर्फ़ मैं और मेरी माँ ही हुआ करते थे. मेरी माँ बेहद खूबसूरत औरत थी। वो खूबसूरती का अनमोल नागिना थी।

मेरी माँ को पहली नजर में देखते ही मेरे पापा ने उनको पसंद कर लिया। पर वो मेरी माँ को ढंग से चोद नहीं पाते थे क्यूंकि वो ज्यादातर शहर से बाहर रहते थे और 2 से 3 महीने में एक दो बार ही आते थे लेकिन आने के बाद भी माँ को चोद के संतुष्ट नहीं कर पाते थे क्यूंकि उनका माल बहुत जल्दी निकल जाता था.

मेरी जवान माँ अपनी किस्मत को कोसती थी की इतनी खूबसूरत होने पर भी उनका पति उन्हें अच्छे से चोद कर संतुष्ट नहीं कर पाता है. मेरी माँ पूरा दिन घर पर रह कर ऊब जाती थी तो किचन में कुछ काम कर लेती थी या फिर आस पड़ोस में किसी पड़ोसन से बात.

एक दिन रात को माँ के कमरे की तरफ़ जा रहा था तो मैंने देखा की माँ फ़ोन में चुदाई की वीडियोज़ देखते हुए अपनी चूत में उँगली कर रही थी और बोल रही थी काश! वो मुझे ऐसे ही बाँहों में भर लेते। मेरे रसीले होंठ चूमते। मेरे दूध भरे मम्मे पीते और मुझे पटक पटककर चोदते भी। 

दोस्तों, मेरी माँ चुदने के लिए बहुत तड़पने लगी.उनका आदमी भी शहर से बाहर ही रहता था ज्यादातर. मेरी माँ की जवानी यूँ ही बेकार जा रही थी।

हाय हाय ये मजबूरी!

ये मौसम और ये दुरी!

मुझे पल पल है तड़पाये!

तेरी दो टकये की नौकरी में मेरा लाखों का सावन जाए!

दोंस्तों, बस यही हाल था। आस पास पड़ोस में कभी कभी मेरी जवान माँ किसी पड़ोसन से बात करके वक़्त बिताती थी।

मेरी माँ की बोरिंग जिंदगी में रोमांच तब आया जब मेरा चाचा हमारे घर कुछ महीनों के लिए रहने आया क्यूंकि उसे यहाँ रहकर अपने कुछ सरकारी दस्तावेज तैयार करवाने थे। चाचा के आ जाने के बाद अब मेरी माँ घर पर अकेली नही थी। 

मेरा चाचा जो बस 40 साल का हट्टा कट्टा मर्द था, मेरी जवान 33 साल की माँ के पास रहने आ गया। वो बड़ा जिम्मेदार आदमी था। मेरे पापा के काफ़ी सारे बचे कुचे काम उसने सिर्फ़ दो से तीन दिन में ही करा दिए.

नहाते समय मेरी माँ मेरे चाचा के कसरती बदन को देखती थी तो मन ही मन सोचती थी की काश उसका देवर विनोद ही उनका मर्द होता। माँ मेरे चाचा को खाना देती थी तो विनोद के सौंदर्य को निहारती थी बड़ी देर तक।

एक दिन मेरी माँ ने विनोद का चित्र बनाया और बाथरूम में जाकर उसकी तस्वीर को देखते हुए खुद अपनी रसीली छातियां पिने लगी और अपनी चूत में ऊँगली करने लगी। जब मेरा चाचा कुछ देर बाद बाथरूम गया तो उसे उसकी तस्वीर वहां मिली।

मेरा चाचा दंग रह गया। उनकी भाभी उसको इतना पसंद करती है कि उसकी फोटो देखकर चूत में उँगली कर रही थी। धीरे धीरे मेरी जवान माँ चुदासी हो गयी पर फिर भी मेरी माँ की चुदवाने की आस अधूरी रह जाती थी। 

दोंस्तों, इस उम्र में तो हर औरत चुदासी होती है, अगर मेरी माँ किसी से चुदवाना चाहती थी तो क्या गलत कर रही थी। मेरी नानी जब माँ का हाल चाल लेती थी तो मेरी माँ कह भी नही पाती थी कि उसको लण्ड तो खाने को मिलता ही नही है।

मेरी माँ कभी कभी अपना दुःख पड़ोसन औरतों से कहती थी। इस उभरते यौवन में मेरी माँ के मादक जिस्म में चुदाई वाले हार्मोन्स भी बहुत बन रहे थे, इसलिये मेरी माँ किसी भी कीमत पर एक हट्टा कट्टा लण्ड लेना चाहती थी। 

धीरे धीरे मेरी माँ जान गई की मेरा चाचा विनोद ही उसकी चुदाई की तलब दूर कर सकता है। मेरी माँ अब मौका मिलने पर अपना करारा कड़क जिस्म मेरे चाचा को दिखा देती थी। 

जब मेरा चाचा काम करने बैठता, मेरी माँ पोछा लगाने पहुँच जाती थी। वो झुक झुक पर पोछा लगाती थी तो उनके मदमस्त चुच्चे ब्लॉउज़ से दिख जाते थे।

मेरी माँ नहाने जाती जाती थी तो अपने देवर यानि मेरे चाचा विनोद को पानी भरने के लिए बुलाती थी। पेटीकोट और ब्लॉउज़ में ही पानी भरने के लिए मेरे चाचा से कहती थी। 

मेरे चाचा का लण्ड तन जाता था। गदरायी अनचुदी भाभी के लहराते, बलखाते जिस्म को देखकर मेरा चाचा बस यही सोचता था कि काश अगर ये औरत मेरी भाभी नहीं होती तो उसे नंगा करके कसके चोद देता चाहे बाद में उसे जेल ही क्यों ना हो जाती।

धीरे धीरे परिस्थितियां बदलने लगी। मेरी जवान गोरी खूबसूरत माँ आये दिन मेरे चाचा पर डोरे डालने लगी। 

मेरा चाचा भी उसकी तरह मुड़ने लगा। 

वो अपना हुस्न आये दिन दिखाकर उसे इशारा करती थी, और इसका नतीजा हुआ कि वो बहुत ज़्यादा गंदी चुदाई की वीडियोज़ देखने लगा और बहुत दारू पीने लगा. एक दिन तो वो एक साथ ही दारू की चार बॉटल ख़रीद लाया पीने को और उसने चारों बोटले पी के ख़त्म करदी.

दोपहर के 1 बजे वो घर पंहुचा। मेरी माँ नहाने जा रही थी। मेरे चाचा ने मेरी माँ का हाथ पकड़ लिया।
देवर जी!।ये क्या कर रहे हो?? मेरी चुदासी माँ ने नख़रे करते हुए पूछा। असलियत में वो मेरे चाचा से चुदवाना चाहती थी। मेरे चाचा ने उसे एक थप्पड़ जड़ दिया। मेरी माँ झन्ना गयी।

साली कुतिया !! तेरी वजह से मेरा किसी काम में मन नहीं लगता। अब मैं क्या करू?? साली आज तेरी गर्मी मैं जरूर मिटा दूंगा! तेरी ख़ाहिश।मैं जरूर पूरी करूँगा! मेरा चाचा बोला।

उसने दरवाजा बंद कर दिया। अपनी बेल्ट निकाली और मेरी मां को दो चार लगा दी। मेरी माँ घबरा गई। वो बचने के लिए पीछे हटी थी मेरे चाचा ने गुस्से के मारे उस पर दो तीन बालटी पानी डाल दिया। 

मेरी जवान गदरायी माँ का अंग अंग भीग गया और उसके चुच्चे  जो बड़े बड़े गोल गोल थे, पीले रंग के ब्लॉउज़ पर से दिखने लगे। मेरा चाचा आज मेरी माँ का बलात्कार करने वाला था। 

मेरी चुदक्कड़ माँ की चूत मारके उसका भोसड़ा बनाने वाला था। 4 बोतल शराब पीने के बाद मेरा चाचा होश में नही था। उसके सर पर खून सवार था।

मेरे चाचा ने दो चार थापड़ मार के मेरी माँ के गुलाबी गलों को लाल कर दिया। मेरी माँ थोड़ा डर गई।
तुझे लण्ड चाहिए ना?? आज तुझे मैं खिलाता हूँ!  मेरा चाचा विनोद बोला। उसने दोनों हाथों से मेरी माँ को धक्का दिया। मेरी माँ फिसल गयी और पानी में जमीन पर गिर गयी। 

वो आंगन में ही गिर गयी थी। मेरे चाचा ने एक बाल्टी पानी और उनपर डाल दिया। वो जल्दी जल्दी साँस लेने लगी। उसका मुंह पानी में डूबा जा रहा था। मेरे चाचा ने अपने दोनों हाथ मेरी माँ के पीले रंग के ब्लॉउज़ पर रखे और जोर से नीचे खीचा।

ब्लॉउज़ कमजोर था, चर्र की आवाज करता फट गया, मेरी जवान चुदासी माँ के 2 बेहद खूबसूरत स्तन प्रकट हो गए। बहुत गोल, गोरे , कसे, कोमल और बहुत चिकने। मेरे चाचा ने ऐसा हुस्न आज तक नही देखा था। एक बार तो वो कमजोर पड़ रहा था मेरी जवान माँ के हुस्न के सामने। पर शराब ने अपना काम कर दिया। 

मेरे चाचा ने एक दो चपट मेरी माँ के गोल गोल चुच्चे पर लगा दिए, जरा कस के। मेरी माँ के मम्मे इधर उधर हिलने लगे।

साली रंडी, बहुत चुदवाने का शौक था तो अपने बाप से चुदवा लेती। तेरी गर्मी शांत कर देता। साली कुतिया ! तेरा रूप रंग देख देख कर ही मैं अपने काम पर ध्यान नही दे सका!! मेरा चाचा बड़े गुस्से में बोला। और उसने पीले पेटीकोट को पकड़ा और इतनी जोर से खीचा कि पेटीकोट भी चर्र की आवाज करता फट गया।

मेरी माँ की गाड़ फट गई। वो मेरे चाचा से चुदवाना तो चाहती थी, पर प्यार से नर्म बिस्तर पर। पर आज तो मेरा चाचा उसे ठंडे फर्श पर चोद चोद के उसकी चूत की गर्मी दूर करने वाला था। 

मेरी माँ का चेहरा लाल पड़ गया। उसका भोला भाला देवर ऐसा रूप भी बना सकता है, मेरी माँ ने कभी सपने में नही सोचा था। मेरी माँ ने इत्तफाक से उस दिन ना तो ब्रा पहनी थी, ना चड्डी पहनी थी। वो गीली थी और नँगी हो गयी थी। मेरी जवान चुदासी माँ समझ नही पायी की अपनी छतियों को ढके या चूत को। वो अपने दोनों हाथों से अपनी चूत ढकने लगी।

हाय हाय मादरचोद!!, राण्ड!! अब क्यों सीधी बन रही है.अब क्यों नही चुदवाती खुलकर!! मेरा चाचा लाल आँखे दिखाकर बोला। उसने मेरी माँ के चिकने गोरे पैर पकड़ लिए और उसकी टाँगें खोल दी।

देवर जी!! ये ये ये!! अअअअआप ठीक नही कर रहे!! मैं पुलिस को बुला दूंगी!!  मेरी माँ हकलाते हुए बोली। उसके होठ काँपने लगे।

सुन बहनचोद!! आज तो मैं तुझे जमकर चोदूंगा चाहे मुझे फाँसी ही क्यों ना हो जाए  मेरा चाचा बोला और उसने मेरी माँ की चूत में दो उँगलियाँ पेल दी, और जोर से हाथ अंदर मारा। मेरी माँ बचाव बचाव चिल्लाने लगी पर किसी ने नही सुना।

मेरा चाचा जल्दी जल्दी मेरी माँ की चूत को फेटने लगा बिना किसी प्यार के बेदर्दी से उँगली अंदर बाहर करने लगा. आज पहली बार मेरे चाचा ने मेरी माँ की बेहद सुंदर चूचियों को देखा। साफ चिकनी चूत जिसका कोई जवाब नही था। मेरा चाचा उनकी बुर को चूमना चाटना चाहता था, पर उसे याद आ गया कि इसी छिनाल की वजह से उसका काम में मन नहीं लग रहा था.

मेरे चाचा के मुंह से शराब की तेज महक आ रही थी। बुर फेटने से फच फच की आवाज आ रही थी। चूत बहुत टाइट थी, मेरे चाचा को ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही थी।

मेरी माँ को थोड़ा मजा मिलने लगा। उसकी चूत का रास्ता अंदर तक साफ होने लगा और खुलने लगा ऊँगली करने से। साथ ही उनकी चूत अपना मक्खन भी छोड़ने लगी। मेरे चाचा ने दोनों ऊँगली बाहर निकली और सारा मक्खन चाट गया।

वैसे मॉल तो तू मस्त है भाभी!!  मेरा चाचा बोला। फिर उसने मेरी माँ की गाण्ड में दोनों बीच वाली उँगलियाँ दाल दी और जोर का हाथ अंदर मारा। मेरी माँ की माँ चुद गयी।

बचाव!! बचाव!! कोई बचाव मुझे !!  वो रोति हुई चिल्लाई। चाचा मेरी माँ की गाण्ड में गहराई तक ऊँगली करता रहा। उस समय मेरी माँ रोई जा रही थी। उसे बहुत दर्द हो रहा था। वो छटपटा रही थी। पर मेरे चाचा को तरस नही आया। वो गहराई तक गाण्ड में ऊँगली करता रहा। वो और जल्दी जल्दी ऊँगली करने लगा!! तो मेरी माँ माफ़ी मांगने लगी।

देवर जी! मुझसे गलती हो गयी! माफ़ करदो देवरजी! मेरी माँ रोते बिलखते मिन्नते करने लगी। मेरा चाचा ये देखकर खुश हुआ की उनकी छिनाल चुदासी भाभी लाइन पर आ गयी है। गाण्ड में खूब अंदर तक अंगुल करने के बाद मेरे चाचा ने ऊँगली निकली और चिल्लाया
चल कुतिया! चाट अपनी गाण्ड के रस को!!  वो चीखा।

मेरी माँ सहम गयी और अपनी गाण्ड के रस को चाटने लगी।

मेरे चाचा ने अपने कपड़े उतार फेके और बोला  चल हरामजादी!! चूस मेरा लण्ड!! मेरी नँगी माँ जो भीगी हुई थी सिर से पांव तक गीली थी सहम गयी.

मेरा चाचा भी ज़मीन पर पानी में लेट गया लण्ड खोलकर। मेरी माँ उसका लण्ड चूसने लगी। मेरा चाचा उसके चिकने चुत्तड़ो को सहलाने लगा। हाथ को पीछे ले जाकर उनकी चूत में उँगली करते हुए गर्म करने लगा। फिर अचानक ने उसने मेरी माँ को 4 5 तमाचे और जड़ दिए
ठीक से रंडी! ठीक से कर! मेरे लौड़े पर हाथ घुमा घुमाकर चूस!!  वो चिल्लाया।

मेरी माँ रोने लगी। पर डरती हुई अपना हाथ घुमा घुमा कर जोर जोर से ऊपर नीचे करते हुए मेरे गबरू जवान चाचा का 8 इंच लंबा लण्ड चूसने लगी। वो इतना घबरा गई की उसकी गोलियां भी चूसने लगी। मेरे चाचा को सकून मिलने लगा।

चल लेट जा छिनाल! तेरी चूत की आग आज मिटाता हूँ!  काफी देर तक लण्ड चुसाई करवाने के बाद मेरा चाचा बोला। उसने मेरी माँ के मुँह में ही मूत दिया।
चल पीजा पीज़ा इसे!!  वो चिल्लाया। मेरी माँ डर गई और उसका मूत भी पी गयी। मेरे चाचा ने अपने बड़े से 8 इंची लण्ड को मेरी माँ के उतपत्ति स्थल चूत भोंसड़े पर रखा और सट्ट ने धक्का मार दिया।

लोहे जैसा लण्ड मुलायम चूत को फाड़ता हुआ खूंटे जैसा अंदर गड़ गया। कहीं कोई प्यार नही ना इस चुदाई में केवल थी वासना और सिर्फ वासना। मेरी माँ की आज तो माँ चुद गयी थी। 

उसकी आँखों के आगे अंघेरा छा गया। 

मेरे चाचा ने उनकी छतियों को कस के पकड़ लिया और लगा चोदने। ये तो बड़ी नाइंसाफी थी। 

जो स्तन दुनिया के सबसे खूबसूरत गोल, गोरे, कसे, मुलायम और चिकने चुच्चे थे उसे मेरे चाचा ने उसे जकड़ रखा था। वो गचागच मेरी माँ को चोदे जा रहा था।

हाय मैं मर जाऊँगी!! हाय मैं मर जाऊंगी!!  वो रोने चिल्लाने लगी।
हाँ राण्ड! तू मरेगी जरूर आज! मुझे भी लग रहा है!  मेरा चाचा बोला। फिर वो मेरी माँ के बेहद खूबसूरत चूचियो की काली भूरी निपल्स को बेदर्दी से मसलने लगा। 

मेरी माँ की आँखों से गरम आँसू निकल कर बहने लगे। वो दर्द में थी। मेरे चाचा को ये देखकर बड़ा मजा आ रहा था। उसने मेरी माँ के दोनों पैर उठाकर अपने कंधों पर रख लिये और हचा हचा चोदने लगा।

मेरे चचा ने माँ के गरम आंसू ने उनकी मांग भर दी।
रंडी!! अब तेरी यही सजा है कि आज से तू मेरी बीबी भी हो गयी। जबतक मेरी शादी नही होती, साली छिनाल ! तू मेरा बिस्तर गरम् करेगी वो भी हर रोज!!  मेरा चाचा चिल्लाया और गाचागच चोदने लगा।

आज तो मेरी माँ का छिनालपन सब दूर हो गया। मेरे चाचा ने उसे एक घण्टे तक गुस्से में चोदा। मेरी माँ की चूत छिल गयी। थोड़ा खून भी आ गया। अब मेरा चाचा मेरी माँ के खूबसूरत छतियों का स्तनपान करने लगा।

चल छिनाल! अब कुतिया बन!! वो बोला। मेरी माँ ये जानते हुए की अगर उसकी बात नही मानी तो अभी और मारेगा, कुतिया बन गयी। उसने अपने गोरे गोरे कंधे पानी पड़े ठंडे फर्श पर रख दिए, अपना पिछवाड़ा ऊपर उठा दिया। मेरे चाचा ने चिकने चुत्तड़ो पर 3 4 छपट मारे। चुत्तड़ लाल हो गए। 

चाचा ने एक हाथ हाथ से चूत की लाइन मिलायी और फिर फिर पीछे से चोदने लगा।

आधे घण्टे तक चोदने के बाद फिर से उसने मेरी माँ के मुँह पर मूत दिया। मेरी माँ का हसीन चेहरा उसके मूत से भीग गया। 

वो चेहरा साफ भी ना कर पायी मेरा चाचा फिर से उसपर झपटा। उसने उसे दौड़ा लिया। मेरी माँ अंदर भाग गई और दरवाजा बंद कर लिया।

खोल रंडी!! अब क्यों भाग रही है?? उसने शराब के नशे में 8 10 लात दरवाजे पर मार दी। दरवाजे की कुण्डी टूट गयी। उसने मेरी माँ को उसी तरह दबोच लिया जैसे जंगली कुत्ते जंगली मुर्गी को दबोच लेते है। मेरे चाचा ने 5 6 लात मेरी जवान चुदासी माँ को जमा दिए।

और जबरन उसकी गाण्ड मारी। 

मेरी माँ की टाइट चूत और टाइट गाण्ड से खून बहने लगा।
छिनाल!! अगर किसी को इसके बारे में बताया तो तू जिन्दा नही बचेगी!! ये बात समझ लेना!! मेरा चाचा गुर्राया।

इस घटना के बारे में मेरी माँ ने किसी को नही बताया। इसमें उसकी ही बेइज्जती होती। फिर हर दोपहर मेरा चाचा अंदर कमरे में चला जाता। और पुकारता भाभी!!

मेरी माँ समझ जाती की आज फिर उसका देवर उसे दोपहर भर नंगा करके लण्ड चुसाएगा और चूत मारेगा। पर मेरी जवान माँ कर भी क्या सकती थी। वो अंदर चली गयी। मेरे चाचा ने दरवाजा अच्छे से बंद कर लिया और पूरी दोपहर उसे रंडी की तरह चोदता नोचता खाता रहा।

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