शादी के बाद लिया आशिक़ के लंड का मज़ा

हैलो दोस्तो, मेरा नाम निधि है। मैं एक शादीशुदा औरत हूं। मेरी उम्र 28 साल है। अभी बच्चे नहीं हुए हैं। मेरी शादी को 4 साल हो गए हैं। पहले मैं जॉब करती थी मगर आजकल घर पर ही रहती हूं।मैं अपनी शारीरिक बनावट के बारे में आपको बता देती हूं। मैं दिखने में ज्यादा गोरी नहीं हूं। मेरा रंग गेहुंआ है। मगर इतना कह सकती हूं कि मेरा चेहरा काफी सुंदर है और हसीन मुस्कराहट है। मेरा फिगर 34-30-36 का है। मेरा कद 5.5 फीट है। वज़न मेरा 55-60 के बीच में ही रहता है।

ज्यादातर मैं साड़ी और ब्लाउज ही पहना करती हूं। तो अब मैं वो घटना आपको बताती हूं जिसके बारे में ये कहानी है। 
ये बात उस वक़्त की है जब मेरी शादी नहीं हुई थी।मेरे लिए एक बार एक रिश्ता आया। वो लोग हमारे घर आये। मैं भी तैयार होकर उनके सामने आ गयी।मैं गांव से हूं इसलिए गांव में ऐसे ही रिश्ता होता है। मुझे देखने आया लड़का शहर का था। उसका नाम रोहन था। उसने मुझे देखते ही पसंद कर लिया था मगर मेरे घर वालों को वो पसंद नहीं आया क्योंकि उसके पास कोई ढंग की नौकरी नहीं थी। उसने काफी कोशिश की मेरे घर वालों को मनाने की मगर मेरे पिताजी ने साफ-साफ मना कर दिया। 
उसने किसी से मेरा फोन नंबर लिया और मुझे फोन किया।

वो कहने लगा कि तुम बहुत खूबसूरत हो और मुझे तुमसे ही शादी करनी है। रोहन अच्छा लड़का था मगर मुझे भी पैसे वाले लड़के से ही शादी करनी थी इसलिए उसको मैंने कहा कि आप मुझे फोन मत करो। मैंने कहा कि मैं मेरे माता पिता के खिलाफ नहीं जा सकती, तुमसे शादी सच में नहीं हो सकती।फिर उसने कहा कि शादी नहीं कर सकती तो मत करो, लेकिन दोस्ती तो रखो? तो मैंने दोस्ती के लिए हाँ कर दी।

फिर कुछ दिन तक वो मुझे फोन करता रहा और मैं भी थोड़ी बातें उससे करने लगी। धीरे धीरे उसके कॉल आना बंद हो गए और लगभग एक साल तक उससे बात नहीं हुई। वो अपनी जिन्दगी में व्यस्त हो गया और मैं अपने कॉलेज में। एक बार हमारे किसी रिश्तेदार की शादी थी जिसमें हमारा पूरा परिवार गया हुआ था।
जिस शहर में शादी थी दीपक भी उसी शहर का था। मुझे उसकी याद आई तो मैंने उसको कॉल कर लिया। वो काफी खुश हुआ और हमने मिलने के लिए तय किया। हम लोग एक जूस सेंटर पर मिलने वाले थे।वो होंडासिटी कार में आया मुझसे मिलने! वो मुझे देखकर खुश हो गया।

वह काफी इज्जत से मुझसे बात कर रहा था। हमने जूस ऑर्डर किया। मैंने महंगे वाला जूस ऑर्डर किया था। मैंने कहा- रोहन, तुम्हारे पास पैसे तो हैं न? क्योंकि मैं अपने साथ पैसे नहीं लाई हूं। वो बोला- तुम जो चाहे ऑर्डर कर लो, पैसे बहुत हैं मेरे पास!
मैं- अरे वाह! इतने पैसे कहाँ से आए? और वो कार किसकी है जिसमें तुम आए हो? रोहन- मेरी ही है। पिताजी के जाने के बाद प्रॉपर्टी के हिस्से हुए, मेरे हिस्से में जो आया उससे मैंने कार और घर लिया। अब मैंने एक छोटा सा किराना शॉप शुरू किया है।
रोहन- निधि, मैं तुम्हें आज भी बहुत पसंद करता हूं। उसकी नयी कार ने मुझे भी सोचने पर मजबूर कर दिया था कि काश मैं इससे शादी कर लेती. फिर मैं बोली- हाँ वो तो मुझे पता है, लेकिन तुम जानते हो कि फैसला मेरा अकेली का नहीं हो सकता। इसके लिए तुम्हें मेरे पिताजी से बात करनी होगी। रोहन- अब मैं उनसे बात नहीं कर सकता। मैं- क्यों नहीं कर सकते? अब तो तुम बिज़नेस में हो और घर-कार भी तुम्हारे पास है।

फिर उसने जो कहा मेरे लिए किसी झटके से कम नहीं था।
रोहन- मैंने शादी कर ली है, इसलिए मैं रिश्ते की बात नहीं कर सकता। मगर ये भी सच है कि मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूं आज भी। ये सुनकर तो मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि उससे क्या कहूं। मुझे उससे कोई प्यार नहीं था मगर वो अच्छा लगने लगा था और होंडा सिटी कार देखने के बाद तो मैंने कार में घूमने के सपने भी देख लिए थे। फिर अपने आपको संभालते हुए मैंने उसको मुबारकबाद दी। उसने उसकी शादी की तस्वीरें दिखाईं। उसकी बीवी सुंदर थी लेकिन हाइट में उससे काफी कम लग रही थी।

कुछ देर बाद मैं बोली- रोहन अब मुझे जाना चाहिए। मुझे देर हो रही है। मेरे घर वाले कहीं मुझे ढूंढना शुरू न कर दें।
वो मुझे कार में छोड़ने आया और मैं वेन्यू से कुछ पहले ही उतर गई। जाते समय वो बोला- निधि, मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूं, क्या हमारे बीच में कुछ भी नहीं हो सकता है? मैं बोली- तुम पागल हो गए हो, जाओ यहां से … कोई देख लेगा। तुम अपनी जिन्दगी के मजे लो। फिर अगले कुछ महीनो में मेरी शादी भी हो गयी उसी शहर में। एक अच्छा रिश्ता आया और घर वालों ने हाँ कर दिया था। शादी के बाद पहली बार मैंने सेक्स किया। बहुत मजा आने लगा। सब कुछ भूलकर मैं बस सेक्स का आनंद लेने लगी।

एक नशा सा हो गया था मुझे सेक्स का। कभी कभी तो दिन में भी वो मेरी चूत लेने लगे। मुझे भी चुदाई की बहुत लत लग गयी।
वो इतनी ज़ोर ज़ोर से करते और मैं भी मजे ले लेकर करवाती। इतना ज्यादा चुदने का ये नतीजा हुआ कि मेरा फिगर 36-30-36 का हो गया। शादी से पहले इतना फिगर नहीं था मेरा। मेरी शादी का पहला साल अच्छे से गया। धीरे धीरे फिर ससुराल वालों से नोंक-झोंक होने लगी। शादी के समय उन्होंने बड़ी बड़ी बातें कीं और मुझे घर ले आए। बाद में पता चला कि घर तक गिरवी रखा हुआ है। मैंने और पिताजी ने बड़े घर और कार का लालच किया लेकिन हमें धोखा मिला।
मगर अब शादी तो हो चुकी थी। अब क्या किया जा सकता था।

मेरे पति का मिजाज अच्छा है इसलिए मैंने खुद को वहां पर ढाल लिया। कार उन्होंने कुछ दिनों के बाद बेच दी। अब मुझे मायके आने-जाने के लिए बस का ही सफर करना पड़ता था। धीरे धीरे ससुराल वालों के साथ मेरा तनाव बढ़ने लगा और काफी झगड़े होने लगे। मेरे पति भी मुझे ही दोषी मानने लगे, बस हाथ उठाना ही बाकी रह गया था। हमारी सेक्स लाइफ पर भी इसका प्रभाव पड़ा, वो अकेले सोने लगे। एक बिस्तर पर होने के बाद भी 15-15 दिन तक सेक्स नहीं होता था हमारे बीच। मुझे चुदाई की लत थी। मगर मैं भी अपनी अकड़ में थी तो मैंने भी कोई पहल नहीं की।

उसके बाद मैंने जॉब कर ली और बाहर आना जाना होने लगा। मेरे नये दोस्त बनने लगे और मैं अब पहले से खुश रहने लगी।
मेरी सहेली शादीशुदा थी मगर फिर भी उसका बॉयफ्रेंड था।
वो उसके किस्से मुझे सुनाने लगी। मुझे भी लगने लगा कि काश किसी को मैं भी रख लूं बॉयफ्रेंड बना कर! शादी के पहले पिताजी की वजह से नहीं कर पायी थी मैं ये सब! मेरे पति के काफी दोस्त मुझे पसंद करते थे मगर मैं उनके साथ आगे नहीं बढ़ सकती थी, पति को शक होने का डर था। मैं इस बदनामी से डरती थी। एक रोज ऑफिस से छूटने के बाद मैं और मेरे दोस्त पानीपूरी भेल … ये सब खाकर पार्टी करने लगे। खाना पीना होने के बाद हम बस स्टैंड की तरफ जाने लगे।

तभी पीछे से ज़ोर ज़ोर से आवाज़ आई- निधि … निधि! मैंने पलट कर देखा तो वो रोहन था। मुझे काफी खुशी हुई उसको देखकर क्योंकि हम तकरीबन 3 साल के बाद एक दूसरे को देख रहे थे। उसको मैं अभी तक याद थी। रोहन- कैसी हो निधि?पहचाना मुझे? मैं- तुम्हें कैसे भूल सकती हूं पागल? रोहन- चलो तुमसे बात करनी है कुछ! उसकी कार में बैठकर हम उसी जूस सेंटर पर गए जहां आखिरी बार मिले थे। रोहन- निधि तुम तो काफी बदल गयी हो, कितनी हॉट हो गयी हो पहले से! साड़ी में तो कयामत लग रही हो। और अपनी शादी पर क्यूं नहीं बुलाया मुझे?

मैं- तुमने भी तो नहीं बुलाया था अपनी शादी पर! धीरे धीरे ऐसे ही बातें होने लगीं, अच्छा वक़्त बिताया साथ में हमने! फिर मैंने उससे कहा- अब मैं चलती हूं। उसने कहा- जॉब कर रही हो तुम? मैंने कहा- हां। उसने कहा- चलो मैं तुम्हें घर ड्रॉप कर देता हूं। मैं- नहीं रोहन, मेरे घर वालों को ये पसंद नहीं आएगा और मेरे लिए भी प्रॉब्लम हो जाएगी। उसने कहा- कोई नहीं, मैं तुम्हें कॉर्नर तक छोड़ दूंगा, घर तक नहीं। फिर भी मैंने मना कर दिया और कहा कि किसी ने देख लिया तो ठीक नहीं होगा इसलिए रहने दो, सिटी बस से चली जाती हूं। हमने फोन नंबर फिर से एक्सचेंज किए क्योंकि शादी के बाद मेरे पास से उसका नम्बर खो गया था।

अब जब भी मैं ऑफिस में होती तब मेरी रोहन से बात होने लगी।
चुपके चुपके अब मैं उससे बाहर मिलने लगी। मुझे भी उससे बात करके, उससे मिलकर खुशी होने लगी। धीरे धीरे मैंने उसको अपने शादीशुदा ज़िंदगी के राज बता दिये, वो मुझे दिलासा देने लगा। रोहन से रोज़ बातें होने लगीं, धीरे धीरे बातें सेक्स तक चली जातीं। वो काफी मज़ाक मज़ाक में सेक्स टॉपिक तक बातें ले जाता था। मैं भी उसके साथ फ्लर्ट करती लेकिन लिमिट में ही रहती थी।

एक दिन मैंने ऑफिस में हाफ डे लिया और हम दोनों मूवी देखने गए। फिर वो मुझे अपनी किराना दुकान पर ले गया। उसकी शॉप अब काफी बड़ी हो चुकी थी। उसने कहा कि पहले छोटी सी दुकान थी मगर अब वो होलसेल डीलर बन गया है। आगे काउंटर था और पीछे बड़ा सा गोडाउन! उसकी तरक्की देखकर मुझे खुशी हुई मगर कहीं ना कहीं दिल में लगने लगा कि काश इससे मेरी शादी हो जाती तो कितना अच्छा होता। रोहन मेरी काफी इज्जत करता था। दुकान का गोडाउन देखने जब हम दोनों अंदर गए तो सिर्फ हम दोनों ही अंदर थे।

उस दिन मैंने लाल साड़ी और कॉफी कलर का ब्लाउज़ पहना था। गोडाउन में हमारे चारों तरफ गेंहू, दाल, चावल के कट्टे रखे थे। हम दोनों खड़े खड़े बातें कर रहे थे और हाथ में कोल्डड्रिंक थी। काफी देर नॉर्मल बात करने के बाद वो मेरी तारीफ करने लगा। करते करते उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। वैसे उसने मूवी हॉल में एक बार हाथ पकड़ा था तब भी मुझे नॉर्मल ही लगा और मैंने भी कुछ नहीं कहा। अब उसने फिर से मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और हाथ पकड़ कर बातें करने लगा। मुझे भी बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। अपनी पूरी सैलरी पतिदेव के हाथ में देने के बावजूद परिवार में मेरी कोई इज्ज़त नहीं थी।

ये बात मुझे काफी परेशान करती थी मगर रोहन के प्यार भरे बोल मुझे उसकी ओर खींचने लगे थे। हाथ को सहलाते हुए दीपक ने कहा- निधि, क्या हम कुछ कर सकते हैं अगर तुम हाँ कहो तो? मेरे ना कहने का तो कोई कारण ही नहीं था। उस वक़्त मैंने कुछ कहा नहीं, बस अपनी नज़रें नीची कर लीं। रोहन मेरा इशारा समझ गया और मेरे बहुत करीब आ गया। मेरे दिल की धड़कनें काफी तेज हो गयीं। रोहन ने दोनों हाथों से मेरा चहेरा पकड़ा और मेरे माथे को चूम लिया। उसका इतना प्यार देखकर मेरी आंखों में पानी आना ही बाकी रह गया था। माथे से फिर वो मेरे गाल को चूमने लगा और फिर गर्दन पर चूमने लगा।

मैंने भी अपने होंठ सामने कर दिये और उसके होंठों को चूमना शुरू किया। रोहन के हाथ अपने आप मेरी कमर पर आ गए और कमर से धीरे धीरे मेरी गांड पर। उसके हाथ मेरी गांड पर आते ही मैं समझ चुकी थी कि आज ये मुझे यहाँ चोदने के लिए ही लाया है। रोहन साड़ी के ऊपर से मेरी गांड को सहलाने लगा। मैं काफी समय से सेक्स की भूखी थी तो मैं भी उसका साथ देने लगी।
धीरे धीरे उसने साड़ी को पीछे से उठाकर मेरी पैंटी के अंदर हाथ डालकर मेरी कोमल गांड को दबाना शुरू कर दिया।

मेरे होंठों को चूमते हुए उसके दोनों हाथ मेरी गांड को दबा रहे थे और मेरे दोनों हाथ उसके बालों को पकड़ कर उसके होंठों का चुम्मा करने में लगे थे। फिर मैंने रोहन से कहा- मुझे घर जाना चाहिए, मेरे ऑफिस छूटने का वक़्त भी हो गया है। रोहन- नहीं निधि, अभी थोड़ा वक़्त है और मैंने काफी साल तुम्हारा इंतज़ार किया है। वो मेरी गांड को छोड़ ही नहीं रहा था।
फिर उसने मुझे पीछे सरकाकर गेहूं की बोरी की तरफ कर दिया।
मेरा चेहरा अब गेहूं की बोरी, जो एक के ऊपर एक रखी हुई थी, की तरफ था। उसने पीछे से मेरी साड़ी उठायी और मेरी पैंटी को नीचे कर दिया। मैंने भी मेरे पैर नीचे ऊपर करके पैंटी को ज़मीन तक पहुंचा दिया।

रोहन- निधि … तुम्हारी गांड बहुत अच्छी है.’ फिर वो नीचे बैठकर मेरी गांड को चूमने लगा। मैं सिसकारियां लेते हुए कहने लगी- कोई आ जाएगा रोहन… अब बस करो। वो रुक गया और उठकर खड़ा हो गया। मेरी साड़ी उसके छोड़ते ही अपने आप नीचे होकर ठीक हो गयी। रोहन एक सेकेंड के लिए रुका और बाहर गया। वो शायद बाहर कुछ कहकर आया और गोडाउन का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। उसकी नजरों में वासना साफ साफ दिखाई दे रही थी।

उसने अपनी शर्ट के बटन खोले और फिर पैंट नीचे करके निकाल दी। मैं सामने से देख रही थी। मेरी चूत में खुजली शुरू हो गई थी। काफी दिनों के बाद मैं चुदने वाली थी। वो फिर से करीब आया और मेरी साड़ी निकाल दी, पीछे से आकर ब्लाउज़ के ऊपर से वो मेरे दोनों बूब्स दबाने लगा। उसका लंड मेरी गांड पर मुझे चुभने लगा था। मुझे लगा कि घर जाने में देर हो जाएगी इसलिए जल्दी से मैंने ब्लाउज़ के बटन खोले और कहा कि रोहन जल्दी करो। मैं जल्दी से चुदना भी चाह रही थी और घर पहुंचना भी। पेटीकोट का नाड़ा उसने खोल दिया और खुलते ही मेरा पेटीकोट ज़मीन पर गिर गया.

अब ब्रा भी उसने खोल दी। अब मैं पूरी नंगी रोहन के सामने खड़ी थी। उसने भी अपनी शर्ट निकाल दी और वो भी मेरे सामने नंगा था। मुझे उठाकर उसने चावल की बोरी पर बैठा दिया। अब मेरी मोटी मोटी जांघें और चूत उसके सामने थीं। वो नीचे बैठकर मेरी चूत में उंगली करने लगा। मुझे इतना मजा आने लगा कि बता नहीं सकती। पहली बार कोई गैर मर्द मेरी चूत में उंगली कर रहा था। मैं भी उसके लंड तक हाथ ले जाकर उसको सहलाने लगी।
फिर उसने मेरी चूत को सूंघा और चूमा। वो अपना लंड मेरे मुंह के करीब लेकर आया और मैं समझ चुकी थी कि अब मुझे उसका लंड चूसना है।

पहले भी मैं मेरे पतिदेव का लंड चूस चुकी थी इसलिए मैंने तुरंत उसका लंड मुंह में लिया और चूसने लगी। थोड़ी देर में उसने मेरे मुंह को रोका और मेरी टाँगें खोल कर मेरी चूत पर हाथ से 3-4 हल्के चमाट मारे। मेरी गर्म चूत पर चमाट लगे तो दर्द हुआ मगर मजा भी बहुत आया। उसने फिर लंड को चूत पर सेट करके एक ही बार में पूरा लंड अंदर जोर से झटके से दे मारा और मैं सिहर उठी। अब वो कहाँ रुकने वाला था। दोनों हाथों में मेरे दोनों बूब्स पकड़ कर वो मुझे चोदे जा रहा था। चोदते हुए बूब्स को मुंह में लेकर वो चूसने लगा और नीचे से चोदता रहा। मैं भी मस्त होकर, गांड उठा-उठाकर चुदने लगी। थोड़ी देर ऐसे ही चोदने के बाद उसने मुझे उल्टा किया और पीछे से लंड को मेरी गांड के नीचे से चूत के अंदर झटके से डाल दिया। पीछे से उसके झटके बहुत ज़ोर ज़ोर से लग रहे थे। चोदते हुए वो मेरी गांड पर चमाट पर चमाट मार-मारकर चोद रहा था।

मेरा पानी निकाल गया था; चूत गीली हो चुकी थी मगर रोहन रुकने का नाम नहीं ले रहा था। उसकी हवस बढ़ती ही जा रही थी. रोहन- निधि क्या मस्त है तेरी चूत और गांड! आह आह … मेरी रानी … बहुत गर्म है यार तू!
मैं- आह आह … आह अह्ह … और मारो … चोदो … आह्ह।
फिर उसने मुझे गेहूं की बोरी के पास खड़ी किया और खड़ी खड़ी ही चूत चोदने लगा। मैं पहली बार खड़ी होकर चुद रही थी।

मुझे भी कुछ ज्यादा ही मजा आने लगा उसका लंड लेते हुए।
रोहन- मेरी बीवी की हाइट कम है इसलिए इस पोज में कभी नहीं चोद पाया उसे। तुमने मेरा ये अरमान पूरा कर दिया। तुझे खड़े खड़े चोदने में जो मजा आ रहा है वो बता नहीं सकता जान … बहुत सेक्सी है तू अआह्ह। फिर वापस लेटाकर वो मेरे ऊपर आ गया और ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा। कुछ देर में उसका माल बाहर आने वाला था- बता कहां डालूं? चूत में या मुंह में? 
मैं- चूत में डालो … आह्ह … बहुत दिन हो गए इसे माल मिले।

उसने अंदर ही अपना माल शूट कर दिया। हम दोनों 5 मिनट तक ऐसे ही उन मस्त पलों का मजा लेते रहे और लिपटे रहे। उसके बाद साफ-सफाई करके मैंने अपने कपड़े पहन लिए और उसने भी पहन लिए। उसने मुझे सिटी बस स्टॉप तक छोड़ा और फिर मैं बस में बैठकर घर आ गयी। घर आते ही वाशरूम में जाकर मैं नहा ली, फिर गाउन पहनकर किचन में काम करने लगी। सासू मां की किच-किच … खिझ-खिझ चालू हो गयी। मगर मैं तो अपनी अलग ही दुनिया में थी, मैंने उनकी बातों पर ध्यान ही नहीं दिया।

आपको मेरी यह सच्ची आपबीती कैसी लगी, मुझे जरूर लिखें।
मैं आपके साथ बहुत कुछ शेयर करना चाहती हूं। अपने जवाब जरूर भेजें और हां मेरी चूत चुदाई कहानी पर कमेंट करना न भूलें।
मैं सबके कमेंट्स का इंतजार करूंगी।

Leave a comment

You cannot copy content of this page