नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम सोनम है मेरी उम्र 35 साल है.मेरे पति का नाम रवि है जिनकी उम्र 42 साल है. मेरा एक 8 साल का लड़का है जो अब एक हॉस्टल में रह कर पढ़ता है.जिस वक्त की ये घटना है, उस समय वो मेरे पास ही रह कर पढ़ रहा था.
यह एक सच्ची जवान औरत की चूत चुदाई कहानी है.मैं आगे बढ़ने से पहले आपको अपने बारे में बता देती हूं.मेरा रंग एकदम गोरा है. हाईट 5 फुट 3 इंच की है और मेरे शरीर की माप कुछ इस प्रकार है.मेरी चूचियों का आकार 36 इंच है, पतली कमर का नाप 32 इंच और मर्दों को तड़फाने वाली मेरी मटकती हुई गांड का नाप 40 इंच का है.
मेरा ऐसा फिगर देख कर सबके पैंट के अन्दर उनके हथियार खड़े हो जाते हैं.जब मैं मटक मटक कर चलती हूं, तो मेरी गांड कभी इधर तो कभी उधर मटकती है.उम्मीद है कि आपको समझ आ गया होगा कि मैं एक खूबसूरत जिस्म की मालकिन हूं.मुझको जवान मर्द बहुत पसंद आते हैं.
मेरे पति का सम्बन्ध एक बहुत बड़ी कम्पनी से है. उनको पैसे से बहुत प्यार है. ये बात उस टाइम की है जब मेरा बेटा पैदा हुआ था. उसके बाद से मेरे पति और मुझमें शारीरिक संबंध बनना बहुत कम हो गए थे. वो मुझको बहुत कम ही टाइम देते थे. रात को भी थक कर जल्दी ही सो जाते थे. मेरी सेक्स लाइफ मानो बिल्कुल खत्म होने को थी.
महीने में मुश्किल से 2 या 3 बार सेक्स हो पाता था. वो जब रात को आते, मैं बस यही आस में बैठी रहती कि आज तो कुछ होगा ही … आज तो कुछ होगा ही, मगर कुछ होता ही नहीं था. मैं बहुत परेशान होने लगी थी. अब मेरा इतना बड़ा घर भी मुझको अच्छा नहीं लगता था. मैं अपने बेटे के साथ थोड़ा बहुत खेलने में टाइम बिता लेती थी. फिर एक बार मेरे पति के दोस्त करन अपनी पत्नी विशाखा के साथ हमारे घर डिनर के लिए आए.
वो मेरे पति से थोड़ा सीनियर थे. उनकी वाइफ ऐसी जवान लगती थी, मानो उनकी बेटी हो. विशाखा अपने आपको बिल्कुल किसी हीरोइन की तरह रखती थी और दिखने में भी किसी मॉडल से कम नहीं थी. उस दिन विशाखा ने एक बहुत ही हॉट ड्रेस डाल रखी थी, जिसमें उसके मोटे मोटे बूब्स निकल कर बाहर आने को मचल रहे थे. उस ड्रेस के पीछे से उसकी पीठ बिल्कुल नंगी दिख रही थी.
वो किसी एक्ट्रेस से कम नहीं लग रही थी. जब मैं खाना बना रही थी, तो विशाखा मेरे पास किचन में आ गई और बोली- सोनम तुम बहुत ही उदास लग रही हो … तबियत खराब है क्या? मैंने कहा- अरे नहीं दीदी, ऐसा कुछ नहीं है. विशाखा मेरे हाव-भाव को समझ गई और बोली- पहली बात तो ये है कि मैं क्या तुमसे इतनी बड़ी हूं कि जो तुम मुझको दीदी बोली. अरे यार हम दोनों एक उम्र की हैं, तो तुम मुझको मेरे नाम से बोलो. हम दोनों अच्छी सहेली बन सकती हैं.
मैंने कहा- ओके विशाखा. आकांक्षा बोली- सोनम, तुम्हारा मोबाइल कहां है? मैं तुम्हारा नंबर ले लेती हूँ. मैंने कहा- ये रहा. मुझसे मेरा मोबाइल लेकर उसने अपने नंबर पर कॉल की और मेरे मोबाइल में अपना नंबर सेव कर दिया. फिर वो बोली- मैं तुमसे कॉल बात करती हूं … और कल से तुम्हारे बेटे के लिए कोई आया आएगी. वो इसका ध्यान रखा करेगी. उसके बाद हम सबने डिनर किया.
डिनर करती हुई विशाखा बोली- रवि जी, आपकी पत्नी बहुत ही उदास रहती हैं. तो क्या मैं इसको बाहर की सैर करवा सकती हूं. दूसरी बात ये कि मैं आपके बेटे के लिए मैं एक आया को भेज दिया करूंगी, वो उसका ध्यान रख लेगी.
यह सुनकर रवि बोले- इसमें पूछने वाली क्या बात है. अब हम क्या करें, हमारे ऊपर काम का भी बहुत प्रेशर रहता है. आप दोनों आराम से एक दूसरे के साथ टाइम स्पेंड किया करो.
हम सब आप में काफी देर तक बातें करते रहे और तयशुदा प्लान के मुताबिक रात को वो दोनों हमारे घर ही सो गए. दरअसल अगले दिन रवि और करन को दुबई के लिए निकलना था. वो दोनों 5 दिन बाद आने वाले थे. सुबह 6 बजे मैं और विशाखा रवि और करन को एयरपोर्ट पर छोड़ने गए. उनकी फ्लाइट 7 बजे की थी. हम उनको बिठा कर घर आ गए. फिर हम जब घर में घुसे तो विशाखा बोली- सुनो यार, मुझको नहाना है. मैं बोली- हां तुम मेरे रूम के बाथरूम को यूज कर लो. इतना बोल कर जैसे ही मैं पीछे पलटी, तो मेरे सामने आकांक्षा बिल्कुल नंगी खड़ी थी.
वो मुझसे बोली- तुम भी आ जाओ, दोनों साथ में नहाती हैं. मैंने देखा कि उसके बूब्स बिल्कुल सख्त और भरे हुए थे और उन पर पिंक कलर के निप्पल बड़े ही कड़क लग रहे थे. उसकी पतली कमर और उठी हुई गांड एकदम मादक लग रही थी. मैंने देखा कि उसकी चूत बिल्कुल साफ और गुलाबी रंग की थी. उसकी चूत की फांकें एकदम फूली हुई ऐसी लग रही थीं मानो गुलाब की दो पखुंड़ियां हों.
उसका नंगा बदन उसकी जवानी को और भी सुंदर बना रहा था.
उसकी चूत का उभरा हुआ दाना देख कर लग रहा था मानो बिल्कुल नई अनचुदी चूत हो. मैं उसको बस देखती ही रह गई.
विशाखा अंगड़ाई लेती हुई बोली- मैं रात में ही तेरी हालत समझ गई थी कि तेरी चूत की आग शांत नहीं हो रही है. इसलिए आज से मैं तेरे घर पर ही रहूंगी और तुझे बताऊंगी कि कैसे इसकी आग को शांत करते हैं.
फिर वो मुझसे बोली- क्या जिस्म है तेरा … तेरे ऊपर तो सब पागल जाएंगे. मैं शर्मा गई. वो मुझसे कहने लगी- सोनम अब तू जल्दी से नंगी हो जा … तुझे मजा आएगा. मुझको भी मज़ा आने लगा था इसलिए मैंने भी बिना कुछ सोचे समझे सारे कपड़े उतार दिए और एकदम नंगी हो गई.
कुछ देर के बाद वो बोली- थोड़ी देर रुक … मैं अभी कुछ करती हूँ. उसने अपने पर्स से मोबाइल निकाला और किसी को फोन लगाया. फ़ोन उठते ही वो बोली- अन्दर आ जाओ. इतना बोल कर उसने अपना पर्स और मोबाइल रख दिया. मेरी समझ में नहीं आया कि इसने किसे बुलाया है. तभी कुछ मिनट बाद गेट पर घंटी बजी. वो नंगी ही खोलने के लिए गई. जब उसने गेट खोला तो मैंने देखा कि सामने एक 6 फिट लम्बा और काला आदमी बाहर खड़ा था. वो एकदम हट्टा-कट्टा था. उसका सीना चौड़ा और तना हुआ था. वो आदमी मुझको कहीं देखा हुआ सा लग रहा था. मैंने पूछा- ये कौन है? हम दोनों बिल्कुल नंगी खड़ी थीं.
वो बोली- ये मेरा ड्राइवर राकेश है. मैं अपने नग्न जिस्म को छिपाने लगी. मगर विशाखा को मानो झांट बराबर भी लाज नहीं थी. इसके बाद मैंने देखा कि राकेश विशाखा के बाल पकड़ कर उसको इस कदर खींचने लगा था कि वो नीचे गिरने को हो गई और तभी एक झटके में उस कालू ने विशाखा को उठा कर अपनी गोद में ले लिया. ये सब देख कर मैं हैरान हो गई कि ये क्या हुआ. देखते ही देखते राकेश विशाखा को किस करने लगा और वो भी पूरे जोर से उसका साथ देने लगी थी.
बुरी तरह से किस करने के बाद वो मेरी तरफ देखने लगे और दोनों हंसने लगे. मैंने कहा- तू पागल तो नहीं हो गई है विशाखा? वो बोली- पागल मैं, नहीं तुम हो सोनम ! मेरी चूत की खुशियां इसी के लौड़े से बंधी हैं.
उसकी भाषा सुनकर मैं अवाक थी. उसके बाद राकेश ने विशाखा को नीचे उतारा और विशाखा ने उसे कुछ इशारा किया.
उसने झट से अपनी पैंट खोल दी और अगले ही पल शर्ट को भी उतार दिया. फिर वो बोला- आ जा, मेरी कुतिया. राकेश विशाखा को बहुत गंदी गंदी गाली देने लगा था- आजा मादरचोद … रंडी साली बहुत दिन बाद तेरी चूत पेलने का मौका मिला है.
विशाखा ने मुझको भी अपने पास बुलाया और कहा- यही है वो, जो मेरी चूत की प्यास को शांत करता है. पति के सामने मैं मालकिन होती हूँ और उसके जाने के बाद मेरी जवानी का मालिक राकेश हो जाता है. ये मुझको 3 साल से लगातार चोद रहा है.
मैं अपने मन में राकेश से चुदने का सोच रही थी मगर सामने से बोली कि मैं अपने पति को धोखा नहीं दूंगी. विशाखा ने राकेश को कुछ आंखों में इशारा कर दिया. राकेश ने मुझको उठा कर मेरे ही बेड पर पटक दिया और मेरी चूत में अपना मुँह लगा दिया.
मैं एकदम से घबरा गई और उससे छुड़ाने की कोशिश करने लगी. उसने मेरे गाल पर एक कसके झापड़ दे मारा और मेरे ऊपर चढ़ गया. मैं बिलबिला गई. वो इतना भारी था कि मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी.
राकेश मेरी चूत को इतनी अच्छी तरह से चाट रहा था मानो वो मेरी चूत की गहराइयों में समा जाना चाहता हो. मुझे मजा आने लगा था और मेरी चूत से पानी रिसने लगा था. वो बीच बीच मेरी चूत के दाने को हल्का सा काट ले रहा था जिससे मेरी सिसकारी निकल जा रही थी. अब मुझको भरपूर मज़ा आने लगा था. ये देख कर विशाखा समझ गई कि अब मुझे भी मज़ा आने लगा था और फिर वो राकेश से बोली- इसकी चूत से लंड की आवाज आने लगी है. अब इसको भी तेरा लंड खाना है.
तभी राकेश मेरे मुँह में अपना लंड डालने लगा. उसके खड़े लंड को देख कर मैं दंग रह गई. उसका लंड मेरे पति से दुगना रहा होगा … करीब 8 इंच लम्बा और मेरी कलाई जितना मोटा. उसने मेरे होंठों में लंड लगाया और मेरे गालों को दबा दिया. इससे उसके लंड का सुपारा मेरे होंठों के बीच आ गया.
मैंने जैसे ही लंड को मुँह में लिया, वो एकदम से बौरा गया और उसने जोरदार धक्का मार दिया. इससे एक बार में ही उसका लंड मेरे मुँह में अन्दर तक गले तक घुस गया. मैं कुछ भी न कर पाई. वो कुछ सेकंड तक अपने लंड को ऐसे ही मेरे मुँह में ठूँसे रहा. उसके लंड के बाल मेरे होंठों पर गड़ रहे थे और उसका पूरा लंड मेरे मुँह के अन्दर था. मुझसे सांस तक सही से नहीं ली जा पा रही थी. मेरा दम घुटने लगा और सारा चेहरा लाल हो गया था. आंखों से पानी निकलने लगा था जिससे मेरा काजल तक बहने लगा था.
फिर कुछ पल बाद उसने धीरे से अपना लंड बाहर निकाला और उसी के साथ मेरे मुँह की बहुत सारी लार बाहर आ गई. मेरी सांसें बहुत तेज हो गई थीं, मैं तेज़ तेज़ सांस लेती हुई हांफने लगी थी.
इसके बाद राकेश ने विशाखा से कहा- देख, इस रांड का क्या हाल हुआ है. मैं सच में खुद को रांड महसूस करने लगी थी.
विशाखा मेरी तरफ देखती हुई बोली- तेरा तो पहली बार में ही यह हाल हो गया है. मैं तो इस राक्षस के लंड को 3 साल से झेल रही हूं.
राकेश अपने लंड के टोपे को मेरे मुँह के अन्दर धीरे धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा. अब मुझे अच्छा लगने लगा था और मैं उसके लंड को बहुत अच्छी तरह से चूसने लगी थी. उसका लंड बिल्कुल लोहे के किसी रॉड की तरह बिल्कुल सख्त हो गया था. फिर धीरे-धीरे से राकेश ने अपने हाथ मेरे मम्मों की तरफ बढ़ाए और उनको बुरी तरह से खींचने लगा. मेरी तो मानो जान ही निकल गई थी.
साला मादरचोद किसी गाय के थन सा खींच खींच कर मेरा दूध निकालने जैसा कर रहा था. फिर उसने अपनी जीभ निकाली और मेरे एक दूध के निप्पल के चारों तरफ घुमाने लगा और उसको चूमते हुए चूसने लगा. कुछ ही देर में मुझको बहुत ज्यादा मजा आने लगा. तभी अचानक से उसने मुझको नीचे खींचा और बोला- अब तुमको कुछ दिखाता हूँ. वो अपना लंड मेरी चूत के ऊपर फिराने लगा और चूत के छेद पर उसको सैट करके हल्का हल्का ऊपर से ही लंड के मुंड को चूत में अन्दर बाहर करने लगा.
जब मेरा ध्यान वहां से हटा, तो राकेश ने एक जोरदार धक्का दे मारा.
मेरी तो मानो जान ही निकल गई हो … मेरी जोर की चीख निकल गई ‘अअह्ह्ह्ह मांआ मररर गईइई.’
फिर राकेश ने धीरे से लंड को बाहर निकाला और फिर से एक जोरदार धक्का मारा. जवान औरत की चूत जैसे फट सी गयी, मेरी आंखों से पानी निकलने लगा. कुछ ही देर में मुझे अच्छा लगने लगा. राकेश के धक्के अब धीरे धीरे इतने तेज स्पीड से लगने लगे थे कि सारे कमरे में ‘थप थप …’ की आवाज आने लगी थी और बेड चूं चूं करने लगा था.
चुदाई की इन आवाजों से कमरे में एक अजीब सा संगीत गूंजने लगा था. करीब पांच मिनट की धकापेल के बाद वो जरा रुका तो मुझको कुछ शांति मिली. उसके अगले ही पल उसने मुझको अपने ऊपर बिठा लिया और बोला- ऊपर नीचे होती रह. मैंने हल्के हल्के से हिलना शुरू किया, तो मेरे गाल पर एक थप्पड़ पड़ा ‘सटाक …’ मैं समझ गई कि ये झापड़ क्यों पड़ा है. ताव में आकर मैं भी बुरी तरह से ऊपर नीचे होने लगी. उसका मूसल सा लंड पूरा अन्दर तक जाकर चूत की अंदरूनी दीवार को फाड़ने को तैयार था.
इतना तेज मैं कभी भी नहीं चुदी थी. सच में मेरी चूत की सारी खुजली शांत सी होने लगी थी फिर राकेश ने मेरी गांड के नीचे तकिया रख कर मेरी एक टांग उठा ली और अपना लंड एक ही बार में चूत में घुसा दिया. साले ने और ताकत के साथ धक्का मारा था तो उसका लंड अन्दर तक चूत को चीरता हुआ चला गया. मेरी चूत की तो हालत ऐसे हो गई थी मानो फट गई हो. इससे मेरी चीखें निकल रही थीं लेकिन विशाखा ने मेरी चूत को भोसड़ा बनाने के लिए शायद सब कुछ सोच रखा था.
उसने अपने एक दूध को मेरे मुँह में डाल दिया और वो राकेश की आंखों में आंखें डाल कर बोलने लगी- आज इसकी चूत को फाड़ डालो. इस तरह करीब 15 मिनट की दमदार मेहनत के बाद राकेश झड़ने को आ गया. उसने बोला- माल कहां छोड़ना है? मैंने जोश में बोल दिया- अन्दर ही छोड़ो. उसने स्पीड बढ़ा दी. तेज धक्कों के साथ राकेश ने मेरी चूत में अपना गाढ़ा चिकना मलाई सा रस डाल दिया. उसका इतना ज्यादा रस निकला था कि वो मेरी चूत से बाहर बहने लगा था.
मैंने तृप्त भाव से कहा- राकेश, तेरी ये मलाई बहुत कीमती है … मैं इसकी एक भी बूंद खराब नहीं जाने दूंगी. मैं उठ कर बैठ गई और राकेश के लंड के टोपे को मुँह में डाल कर उसको साफ करने लगी. मैंने उसके लंड को चाट चाट कर एकदम कांच की तरह साफ कर दिया. तभी विशाखा बोली- ओये रांड … अपनी चूत को देख कुतिया … तेरी चूत में से तो टपक रहा है.
मैंने कहा- हां मादरचोद, आ जा साली … तू भी माल चाट ले.
वो हंसती हुई मेरी चूत पर आ गई और मेरी चूत को जीभ से चाट कर साफ करने लगी.
उसने लंड चूत के मिश्रित रस की एक भी बूंद खराब नहीं होने दी.
फिर मैंने उसके मुँह में जीभ से जीभ लगा दी. हम दोनों उस मलाई को एक दूसरे के मुँह में डाल कर मजा लेने लगे. इस तरह से पहली बार मैं किसी अनजान मर्द से अपने ही बेड पर चुदी.
इसमें भी विशाखा का पूरा रोल था. उसने ही मेरी आग बुझवाने में मेरी हेल्प की.
अगर वो नहीं होती, तो मैं ये सब मजा नहीं ले पाती.
तो बताओ दोस्तो, कैसी लगी आपको ये जवान औरत की चूत चुदाई कहानी?
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