नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम दीपिका है और मैं बरेली की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र 24 साल है और मैं एक ख़ूबसूरत और कसे हुए बद़न की मल्लिका हूँ।
शादी से पहले कई लड़के मुझे चोदने के लिए मेरे पीछे पड़े थे.
मेरे बूब्स रस भरे चट्टान की तरह उठे रहते थे बिना ब्रा के!
मेरा फिगर 34-28-36 है.
एक दिन मुझे शादी के लिए लड़का और लड़के के मां-बाप देखने आए.उस दिन मैंने डीप गले का ब्लाउज और नेट वाली साड़ी पहनी थी.
बलाउज ऐसा था कि मेरी पीठ ज्यादातर पीछे से नंगी थी और आगे से गहरा गले होने की कारण मेरे दोनों बूब्स उभर कर बाहर दिखाई दे रहे थे.
अगर मैं यह कहूं कि उस दिन में गजब की सेक्सी माल लग रही थी तो गलत न होगा.
मुझे देखकर लड़के ने स्माइल दी.
मैंने नजरें झुका कर उसको स्माइल दे दी.
जब मैं उसके पापा के पैर छूने के लिए झुकी तो उसके पापा ने मेरी नंगी पीठ पर हाथ फेरते हुए मुझे उठाते हुए मेरे बूब्स पर हल्के से हाथ फिरा दिए.
फिर लड़के का बाप सामने बैठकर मुझे ताड़ते हुए मुस्कुरा रहा था.
इस तरह हमारी शादी तय हो गई और मैं दुल्हन बनकर अपने ससुराल पहुंच गई, शादी अपने घर वालों की मर्ज़ी से की।
कहते हैं ना कि यह सच्चाई है कि एक लल्लू को ख़ूबसूरत और ख़ूबसूरत को बद़सूरत जीवन-साथी मिलता है।
मेरा पति बद़सूरत तो नहीं था; पर हाँ … माँ का पिल्ला था।
मेरे ससुर जी फौज में रह चुके थे।
मेरा पति भी फौज में है वह शादी के लिए 7 दिन की छुट्टी पर आया था.
सुहागरात की पहली रात ही मेरा पति शराब के नशे में मेरे खूबसूरत शरीर का हुस्न का जलवा देखकर अपने होश खो बैठा और मुझे नंगी करके मेरे पूरे शरीर को चूम चाट कर मेरे अंदर एक लावा सा भर दिया.
और जैसे ही उसने अपना लन्ड मेरी चूत पर रख धक्का लगाया … उसके लौड़े से ढेर सारा वीर्य निकल गया.
फिर काफी कोशिश करने पर भी उसका लन्ड तैयार नहीं हुआ और वह सो गया.
मायूस होकर मैं भी करवट लेकर लेट गई.
और मेरी कब आंख लग गई, मुझे पता ही नहीं चला.
रात के बाद अगली सुबह मैंने सबको अपने हाथों से बना नाश्ता खिलाया, सबने मुझे ढेर सारे आशीर्वाद दिए.
मैं बेसब्री से रात का इंतजार कर रही थी कि आज रात तो मेरी सुहागरात अच्छे से मन जाएगी.
लेकिन होनी को कुछ और ही होना था.
शाम को मेरी डेट यानि माहवारी आ गई.
मेरी डेट 3 दिन बहुत दर्द के साथ ज्यादा होती है जिससे मुझे 3 दिन में कई बार पैड बदलने पड़ते हैं.
इस तरह मेरे पति को 2 दिन बाद ही पीना सुहागरात के ही वापस अपनी ड्यूटी पर जाना पड़ा.
और मैं दुल्हन होकर भी बिना सुहागरात मनाये कुंवारी की कुंवारी रह गई.
इस तरह मैं घर के काम में बिजी रहने लगी और सास ससुर जी की सेवा करती.
ससुर जी नहाने से पहले अपने शरीर की तेल से मालिश करते थे. वे मालिश करते समय सिर्फ अंडरवियर में होते थे जिस कारण उनके लिंग का उभार साफ दिखाई देता था.
उनका लिंग काफी लंबा मोटा दिखता था जो मेरे पति से दुगने आकार का होगा.
उनके चौड़े सीने पर घुंघराले लच्छेदार काले सफेद बालों के गुच्छे होते थे जिनको देखकर मेरे दिल में कुछ कुछ होता था.
मेरे ससुर जी मुझे अक्सर किसी ना किसी बहाने से अपने पास बुलाते रहते थे.
और जब मैं रसोई में नाश्ता या खाना तैयार करती तो वे किसी भी बहाने से आकर कोई सामान उठाने के बहाने मेरे चूतड़ों से सटकर निकलते.
कई बार तो है रसोई में सेल्फ से कटोरियां, गिलास उठाने के बहाने मेरे चूतड़ों के पीछे अपना पूरा लन्ड सटाकर दबा देते.
जिससे मेरे पूरे शरीर में सनसनी सी फैल जाती.
मैं- पापा जी मुझे बोल देते, मैं दे देती आपको गिलास उठाकर!
ससुर जी- अरे मेरे घर की रानी, तुम तो पूरा दिन काम करती हो. कुछ काम मैं भी कर लूं तो हर्ज क्या है!
इस तरह ससुर जी मीठी-मीठी बातें करते हुए मेरे शरीर को टच करते रहते.
ससुर जी बाथरूम का दरवाजा खोलकर अंडरवियर भी उतार कर स्नान करते और मुझे जानबूझकर अपने फौलादी लन्ड के दर्शन कराते.
मैं भी चोरी चोरी से नजरें नीची करके ससुर जी के लन्ड के दर्शन करती और मेरी चूत के रोंगटे खड़े हो जाते.
वाकयी ससुर जी का लन्ड काफी मोटा लंबा था.
उनका लन्ड देखकर मैं सोचती कि काश ऐसा लन्ड मेरे पति का होता तो सुहागरात को ही मेरी सील टूट गई होती.
ऐसा सोच कर मैं एक रात सो रही थी और मीठे सपनों में खोई थी.
अचानक मुझे लगा कि मेरे कम्बल में घुस कर धीरे से आकर लेट कर अपनी एक टांग और एक हाथ मेरे ऊपर रखकर मुझे सहलाने लगा.
मुझे समझते देर नहीं लगी कि ये ससुर जी ही थे और पूरी तरह नंगे थे.
लेकिन मैं चुपचाप सोने का नाटक करके लेटी रही.
ससुर जी ने धीरे-धीरे मेरी नाइटी को ऊपर की तरफ खिसकाकर मेरे बूब्स की तरफ कर दिए.
मैं हमेशा रात को सोते समय शॉर्ट नाइटी पहन कर ही सोती, अंदर नीचे कुछ नहीं पहनती थी.
इस कारण ससुर जी को कुछ ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी.
ससुर जी मेरा एक चुचा मुंह में लेकर चूस रहे थे और दूसरे को दबा रहे थे.
बीच-बीच में वे अपने हाथ से मेरी चूत को भी सहला देते.
ससुर जी के मुंह से शराब की सुगंध आने के कारण धीरे-धीरे में भी मदहोश होती जा रही थी.
मेरे दोनों बूब्स को ससुर जी ने चूस चूस कर और बीच-बीच में मेरे बूब्स के निप्पल को दांतों से काटकर मुझे बेहाल कर दिया.
मैं भी कब तक अपने पर कंट्रोल कर पाती.
मैंने नींद से उठने के बहाने दिखावे के लिए ससुर जी का विरोध करना शुरू किया.
मैं- पापा जी आप? पापा जी, आप क्या कर रहे हो? छोड़ दो मुझे!
ससुर जी- मेरी जान, तुझे जब से देखा है तब से चोदने का दिल कर रहा है,
मैं- नहीं पापा जी, यह गलत है.
ससुर जी- मेरी रानी कोई गलत नहीं मैं तुझे अपने घर की महारानी बनाऊंगा,
मैं- नहीं पापा जी, यह गलत है. किसी को पता चल गया तो बदनामी होगी.
और मैं झूठ मूठ का विरोध करने लगी.
ससुर जी- मेरी जान, तेरे जिस्म में मेरा रात दिन का चैन छीन लिया. मेरी जान कुछ नहीं होगा, सब कुछ घर की चारदीवारी में चलेगा.
और ससुर जी ने मेरे ऊपर आकर मुझे अपने शिकंजे में दबोच लिया.
अब ससुर जी का लंबा मोटा लन्ड मेरी जांघों के बीच में मेरी चूत पर ठोकरें मार रहा था.
ससुर जी ने मेरे दोनों हाथ ऊपर उठाकर अपने एक हाथ से पकड़ लिए और मेरे गुलाबी रस भरे होठों को अपने मुंह में भर लिया.
इस कारण मेरी दबी हुई आवाज ससुर जी के मुंह में जा रही थी.
अब मेरा शरीर धीरे धीरे ढीला बढ़ता चला गया और मैं पूरी तरह से ससुर जी के आगोश में चली गई.
ससुर जी मेरे दोनों बूब्स को दबा दबा कर जोर-जोर से चूस रहे थे और मेरे गुलाबी रस भरे होठों को भी और बीच-बीच में अपने दांतों से काट लेते.
जिस कारण मेरी दर्द भरी लंबी सिसकारी निकल जाती.
मैं- मेरे हाथ छोड़ दो पापा जी!
और ससुर जी ने जैसे ही मेरे दोनों हाथों को छोड़ा, मैंने अपनी बाहों का हार बना कर ससुर जी के गले में पहना दिया.
ससुर जी मुझे अपनी मजबूत बाहों में लेकर बेड पर पलटी लेकर कभी मुझे अपने ऊपर लिटा लेते तो कभी मैं ससुर जी के नीचे आ जाती.
जब मैं ससुर जी के ऊपर आती तो मेरे खुले बाल बादल की तरह ससुर जी के मुंह पर और मेरी मुंह ढक जाते और ससुर जी जमकर मेरे गुलाबी होठों को चूसते.
ससुर जी ने मेरी नाइटी निकालकर ऊपर पंखे पर उछाल दी और वह पंखे पर लटक गई.
और फिर कंबल भी हटा कर एक तरफ गिरा दिया.
ससुर जी ने अचानक से खड़े होकर कमरे की लाइट का स्विच ऑन कर दिया.
पूरा कमरा रोशनी से नहा गया और मैंने शर्म के मारे अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढक लिया.
तभी ससुर जी ने आकर मेरे दोनों हाथों को हटाकर मेरे गुलाबी रस भरे होठों को फिर से अपने मुंह में भर कर चूसने लगे.
मेरी चूत पानी छोड़ कर गीली हो चुकी थी.
ससुर जी का लन्ड और लंबा मोटा होकर अपने पूरे उफान पर आ चुका था.
मेरी लंबी लंबी सिसकारियां कमरे की दीवारों से टकराकर वापस कमरे में गूंज रही थी.
तभी ससुर जी मेरी दोनों टांगें चौड़ी करके घुटनों से मोड़कर मेरी चूत को अपने मुंह से चूसने लगे चाटने लगे.
मेरी हालत काफी बिगड़ती जा रही थी, पूरे कमरे में मेरी सिसकारियां गूंज रही थी.
ससुर जी अपने मुंह से मेरी चूत को दबाकर चूस रहे थे.
इस दौरान मैं मस्ती में अपने चूतड़ों को ऊपर उछलाने लगी.
और मेरी चूत ने ढेर सारा पानी ससुर जी के मुंह पर छोड़ दिया.
मैं झड़ चुकी थी.
ऐसा हसीन आनंद … मैं आनन्द के सागर में हिचकोले ले रही थी.
फिर ससुर जी मेरे चूतड़ों के पास बैठकर अपना लन्ड मेरी चूत पर रगड़ने लगे.
अचानक से ससुर जी ने एक जोर का धक्का लगाया.
लेकिन ससुर जी का लन्ड मेरी चूत पर ठोकर मारकर फिसल गया.
इस तरह ससुर जी ने दो बार और अपने लौड़े को चूत पर लगाकर धक्का मारा.
दोनों बार ससुर जी का लन्ड मेरी चूत से फिसल गया.
ससुर जी- मेरी जान, तेरी चूत बहुत टाइट है!
मैं शर्म के मारे चुप रही और अपने आप को आगे के लिए तैयार कर रही थी क्योंकि ससुर जी का लंबा मोटा लंड देखकर मैं दिल ही दिल में घबरा भी रही थी.
फिर ससुर जी ने अपने मुंह से ढेर सारा थूक निकालकर मेरी चूत पर और अपने लौड़े पर लगा दिया.
मैं कुछ समझ पाती … उससे पहले ही ससुर जी ने अपने लौड़े को हाथ में पकड़े पकड़े जोर का धक्का मारा.
ससुर जी का लन्ड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया.
दर्द के मारे मेरी एक लंबी जोर से चीख निकल गई- ऊईई ईईई मां … मर गई … ऊईई ईईई ममममाह हहहह … मरररर गई!
ससुर जी ने तभी दूसरा जोर से धक्का मारा … मेरी चूत की सील टूटने की फचाक की आवाज आई.
आधे से ज्यादा लन्ड मेरी चूत में फंस गया.
मैं सर को इधर उधर पटक रही थी और मेरी आंखों में दर्द के मारे आंसू आ गए.
मैंने बेड के सामने ड्रेसिंग टेबल के शीशे में देखा तो मेरी चूत से खून की धार निकल रही थी.
और मेरी दर्द के मारे चीखें सिसकारियां कमरे में गूंज रही थी- आहह हह णा … छोड़ो … सश्स सस मम्म्ह … सीईई ईईईई … ऊईई ईई … नहह!
अब ससुर जी ने ताबड़तोड़ धक्के लगा लगा कर अपना लन्ड मेरी चूत में पैलना शुरू कर दिया.
ससुर जी की जांघें मेरी जांघों से टकराकर फच फच … फट फट की जोर जोर की आवाज कर रही थी.
मेरी नाजुक कुंवारी चूत को ससुर जी के लन्ड ने बुरी तरह से तहस-नहस कर दिया.
तभी ससुर जी ने मेरी दोनों टांगे उठाकर अपने कंधों पर रख ली और जोर जोर से धक्के लगा कर मुझे चोदने लगे.
मैं ससुर जी के हर धक्के पर उछल रही थी- आह हहह सीईई ईईई उह हह मम्म … सीईई ईई … ऊई ईईईई … नह हहह … हम्म्म्ह ममम मम्मी … ऊई ईईईई मम्मी मम्मी ईई … नह!
तभी मेरा शरीर अकड़ने लगा और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.
मैं झड़ गई.
अब मैंने मस्ती में अपनी बाहों का हार बना कर ससुर जी के गले में पहना दिया और उनके होठों पर एक चुंबन जड़ दिया.
ससुर जी ताबड़तोड़ मेरी चुदाई कर रहे थे.
पूरे कमरे में जोर-जोर से मेरी सिसकारियां और जांघों से टकराने की आवाजें गूंज रही थी.
ससुर जी अपना पूरा लन्ड खींच खींच कर मेरी चूत में जड़ तक पेल रहे थे.
कुछ देर बाद ही मेरा शरीर फिर से अकड़ने लगा और मैंने अपने ससुर जी को जोर से अपनी बाहों में भींच लिया और अपने चूतड़ उछालने लगी.
तभी मैं दूसरी बार झड़ गई और साथ साथ में ससुर जी भी जोर-जोर से आहाह करते हुए मेरी चूत में मेरे साथ ही झड़ कर अपना ढेर सारा वीर्य मेरी चूत में उड़लने लगे.
मैंने अपने नाखून ससुर जी की पीठ में गड़ा दिए और ससुर जी ने अपने वीर्य से मेरी चूत लबालब भर दिया.