सेठ ने चोदी रंडी की बूर

सविता बरामदे में खड़ी हुई रस्ते जाते हुए मर्दों को लुभाने के लिए अपनी ढीली चोली पहन के खड़ी थी. होंठो पर लाल चटक लिपस्टिक और सेक्सी टी-शर्ट में उसके पास खड़ी वो 3-4 लड़कियां भी सविता के जैसे ही रंडियां थी जो अपनी किस्मत के ग्राहक को निहार रही थी. रस्ते पर चलते हुए मर्दों में से 10% तो दलाल थे जो हर नए दिखने वाले इन्सान को साहब मस्त माल हैं, चलोगे कह के अपने कमीशन का जुगाड़ कर रहे थे.

आप का स्वागत हैं दिल्ली के रंडी बाजार के वो रस्ते पर जहाँ दिन में सेंकडो चूतें चुद जाती हैं. सविता बरामंदे में टहल ही रही थी तभी सविता एक सेठ आया हैं बैठेंगी उसके साथ?
रेखा दीदी इस कोठे की मालिकिन थी, हर रंडी की चूत की कमाई का बड़ा हिस्सा उसकी जेब में ही जाता था. सुंदर चहरा और बड़ी गोल आँखों वाली रेखा भी एक जमाने में यहाँ रंडी हुआ करती थी. फिर किस्मत के साथ से वो खुद का कोठा खोलने में कामियाब हो गई.

सविता ने जवाब देते हुए कहा क्यूँ नहीं दीदी!
आजा, इतना कह के रेखा आगे बढ़ी. सविता भी उसके पीछे चल पड़ी. कमरे में सेठ बैठा था जिसने माथे पर टोपी पहनी थी और उसकी उम्र कुछ 50 की तो थी ही. बगल में उसके एक चमड़े का पाकिट था और आँखों पर सोनेरी फ्रेम के चश्मे.

ये सेठ प्रशांत हैं, सूरत से हैं और हीरे के दलाल हैं बहुत बड़े, रेखा ने कुछ इस अंदाज से सेठ का परिचय दिया…
सविता कुर्सी पर ऐसे बैठी की उसका पल्लू निचे गिरे. सेठ को उसने अपनी चुंचियां दिखा दी, सेठ के मुह ,में भी वो बड़े मम्मे देख के पानी आ गया. फिर नजाकत से सविता बेगम ने अपने पल्लू को उठा के अपने चुन्चो को सेठ की नजर से दूर किया. मानो उसने सौदे से पहले सेठ को माल दिखाया!

सेठ जी, ये मेरी सब से अच्छी लड़की हैं, प्यार से हम उसे सावी कहते हैं. सविता आप के साथ बैठेंगी. क्यूंकि आप को सेठ बृजकशोर ने भेजा हैं इसलिए आप को भी सही सर्विस देंगी ये लड़की मेरी. सविता सेठ को ले के ऊपर के गेस्ट रूम में जाओ.
जी दीदी.

ऊपर का गेस्ट रूम सिर्फ कुछ सामान रखने के लिए खोला जाता था. वरना 200-300 रूपये वाले ग्राहकों के लिए तो वही चद्दर का पर्दा और 5 फिट चौड़ा चुदाई का कमरा. सविता सीडियां चढ़ते हुए अपनी कमर को नजाकत से इधर उधर मटका रही थी. सेठ भी बड़ी गांड को देख के पीछे पीछे चल रहा था.

इस मंजिल पर एक दो लड़कियां और थी जो कमरे के बहार खड़ी खड़ी खुसपूस कर रही थी. सविता के पीछे इस सेठ को देख के एक ने सविता को आँख भी मारी.
दरवाज़ा खोल के सविता ने सेठ को अदंर लिया. पलंग पर पाकिट रख के सेठ अपने कुर्ते के बटन खोलने लगा. सविता ने दरवाजा अन्दर से बंद किया और वो भी अपनी साडी को खोलने लगी. सेठ ने कुर्ता उतारा, उसका मोटा पेट बनियान को फाड़ने की कगार पर था.

सेठ ने पूछा, तुम्हारा असली नाम क्या है?
साहब रंडी का नाम नहीं होता कोई, आज सविता तो कल बसंती, फिर चमेली या बबीता!
सविता बोली-सेठ बोला-फिर भी माँ बाप ने कोई नाम तो दिया होंगा.
सेठ जी छोड़े वो सब, आप बैठ कर जाओ आप इस कमरे से निकल के मुझे याद नहीं करने वाले फिर मेरा इतिहास टटोलने की कोई जरुरत नहीं हैं.

हा हा हा, सेठ हंसा और उसने अपने पजामा का नाड़ा खोला. उसका पजामा जमीन पर गिरा और चड्डी में उसके लंड का आकार दिखने लगा. सविता ने देखा की वो एक साधारण से कम साइज़ का लंड होगा. लेकिन असली साइज़ तो चड्डी खोलने के बाद ही पता चलने वाला था. मुन्नी ने अपने सारे कपडे खोल दिए थे और वो एकदम नंगी थी. सेठ उसकी चूत को देख रहा था.

चलीये सेठ उतार दीजिए बाकी के कपडे भी. इतना कह के सविता ने खुद अपने हाथ से चड्डी को निचे सरकाया.
अरे ये क्या! सेठ के लंड को देख के सविता अपने आप को हंसने से रोक नहीं सकी. साढ़े तिन इन्च वो लंड किसी छोटे बच्चे की लुल्ली जैसा ही था. सेठ के चहरे पर शर्म उभर आई.

सविता ने अपने हाथ से लंड को पकड़ा और देखा की वो आधे से ज्यादा टाईट था. लेकिन फिर भी वो साइज़ में बहुत ही छोटा था.
हंसो मत यार, मैं जानता हूँ मेरा छोटा हैं लेकिन खड़ा तो वो भी होता हैं और मुझे भी चोदना होता हैं.
अरे माफ़ करो सेठ जी, लेकिन मैंने इतना छोटा कभी देखा नहीं था इसलिए हंस पड़ी.

सविता, आज मुझे खुश कर दो और किसी को मेरे लंड की साइज़ के बारे में मत कहना, रेखा को भी नहीं. अगर तुम मुझे खुश रखोंगी तो मैं तुम्हे हर हफ्ते आके इतने पैसे दूंगा की तुम खुद को अमीर कह सकोंगी.

सेठ की बात में पॉइंट था. सविता ने लंड को अपनी उंगलियों से सहलाया और वो उसे हिला हिला के बड़ा करने लगी. सेठ ने अपना बनियान उतारा और वो पलंग के ऊपर बैठ गया.
इसे चुसो ना सविता.

मैं ऐसे नहीं चुसुंगी डायरेक्ट, पहले कंडोम पहन लीजिये आप.
इतना कह के सविता ने गद्दे को ऊपर किया और वहां पड़े हुए कंडोम का पेकेट सेठ को दिया. सेठ ने लंड पर कंडोम पहना लेकिन उनका लंड ढंकने के बाद भी कंडोम अनरोल होना बाकी था.
उनका छुटकू लंड कंडोम में आते ही सविता ने अपने होंठ उसके ऊपर रख दिए. वो लंड को चूसने लगी और सेठ की आँखे बंध हो गई. मुन्नी बेगम छुटकू लोडे को अपने होंठो के दरवाजे में जोर से दबाने लगी. सेठ हिमांशु को लगा की वो स्वर्ग में विहर रहे हैं.

2 मिनिट् लंड चुसाने के बाद सेठ ने अपना लंड सविता के मुहं से निकाला और अब वो चूत लेने के लिए तैयार थे. सविता बेगम ने पलंग में अपनी टाँगे खोली और लोडे को एक हाथ से पकड के अपनी चूत के छेद पर रख दिया. सेठ ने हल्का झटका दिया और उनका छोटे लंड का आधा हिस्सा चूत में घुसा. मुन्नी बेगम के लिए तो वो कुछ भी नहीं था, 9-9 इंच के लंड ले ले के अब यह चूत पूरी लंडखोर बन चुकी थी.

सेठ ने और एक झटका दिया और पूरा लंड अन्दर कर दिया. वो हिलते रहे लेकिन सविता बेगम को तो जैसे कुछ अनुभव ही नहीं हो रहा था. वो लोडा सिर्फ चूत के होंठो से लड़ रहा था, चूत का अन्दरूनी हिस्सा तो लोडे से महरूम ही था. सेठ अपने होंठो से सविता की चुन्चिया चूस रहा था और जोर जोर से अपनी कमर को हिला के लंड अन्दर बाहर कर रहा था.

सेठ की साँसे फुल गई और उसके माथे पर पसीना आ गया. दूसरी ही मिनिट उसके लोडे से वीर्य की बुँदे निकल के कंडोम के प्लास्टिक में रह गई. सेठ ने लंड को चूत से निकाला और कंडोम को निकाल के लहंगा पहन लिया. सविता बेगम भी कपडे पहन के खड़ी हो गई.
क्यूँ कैसा रहा सेठ?

मजा आ गया रानी! ये ले!
यह कह के सेठ ने 500 की हरी पत्ती सविता बेगम को थमा दी. यह सविता बेगम की बक्षीश थी. सविता बेगम मन ही मन हंस रही थी की साला खाया पिया कुछ नहीं ग्लास तोडा बारह आना!

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