हैलो दोस्तो, मेरा नाम सुनीता है। मैं कानपुर की रहने वाली हूँ और कानपुर में ही मेरी शादी अमित नाम के एक लड़के से हो गयी। मुझे शुरू से ही लंड पसंद थे. शादी से पहले मैं खूब चुदी कॉलेज में टीचर और दोस्तों से! शादी के बाद मैं अपने देवरों को ललचाती रही. आज मैं आपको बताऊँगी की कैसे मैं मेरी ननद की शादी में रंडी की तरह चुदी।
मैं 25 साल की एक सुन्दर, सेक्सी और हॉट बीवी हूँ, गोरी चिट्टी, गोल गोल चेहरे वाली और 5′ 4″ के कद वाली हूँ। मेरे मम्मे बड़े बड़े हैं, मेरी आँखें बड़ी बड़ी हैं और मेरे बाल काले और लम्बे लम्बे हैं। मेरी कमर पतली है मगर चूतड़ थोड़ा उभरे हुए हैं। मेरी बाहें बेहद खूबसूरत हैं इसलिए मैं अक्सर स्लीवलेस और डीप नेक के कपड़े ही पहनती हूँ जो मेरे बदन पर बहुत अच्छे लगते हैं।
जब मैं घर से बाहर निकलती हूँ तो लोगों को जरूर आकर्षित करती हूँ।
मैं पढ़ी लिखी हूँ लेकिन कोई जॉब नहीं करती, बस हाउस वाइफ की हैसियत से रहती हूँ। जॉब की हमें कोई जरूरत भी नहीं है क्योंकि हमारे पास ईश्वर की कृपा से धन दौलत बहुत है।मैं सेक्स की बहुत बड़ी खिलाड़ी हूँ; सेक्स मुझे बहुत ज्यादा ही अच्छा लगता है।
अपने कॉलेज के दिनों में मैं बड़ी बोल्ड, बिंदास और मुंहफट लड़की थी। मुझ में डर नाम की कोई चीज नहीं थी। मैं खूब खुल कर बोलती थी, खुल कर बातें करती थी और गालियां भी सबको खुल कर सुनाती थी। अपने ग्रुप में लंड बुर चूत भोसड़ा खुल कर बोलती थी। फिर मैं धीरे धीरे लण्ड पे लण्ड पकड़ने लगी, कॉलेज के लड़कों से चुदने लगी। कई टीचरों से भी चुदी थी मैं। इस तरह मैं अपनी शादी के पहले अच्छी तरह चुद चुकी थी लेकिन यह बात किसी को नहीं मालूम हुई।
मेरी शादी तय होने के बाद मैंने अपनी चूत को टाइट रखने के लिए कई उपाय किये। शादी के बाद जब मेरी सुहागरात हुई तो मैंने इस अदा और प्यार से चुदवाया कि उसे बिल्कुल आभास ही नहीं हुआ कि उसकी बीवी पहले से चुदी हुई है. वह यही समझता रहा कि मैंने ही अपनी बीवी के चूत की सील तोड़ी है। इससे मुझे बड़ी राहत मिली। मेरे दो सगे देवर हैं नीरज और ललित। इसके आलावा एक ममेरा देवर राजू है और एक फुफेरा देवर देवेश भी।
मैं इन सबसे खूब हंसी मजाक करती हूँ, अपनी बड़ी बड़ी मस्तानी चूचियों की झलक भी दिखा देती हूँ। कभी अपनी जांघें तो कभी अपनी कमर दिखा देती हूँ। बस ये लोग मेरी गांड के पीछे घूमने लगते हैं, अपना खड़ा लण्ड मेरे बदन से इधर उधर टकराने लगते हैं। आते जाते चलते फिरते कभी मेरी कमर में, कभी जाँघों में, कभी हाथों में, कभी पीठ पर तो कभी कंधे पर अपना खड़ा लण्ड रगड़ देते हैं तो मैं भी अंदर से गनगना जाती हूँ; मुझे भी मज़ा आने लगता है।
एक दिन मैंने सवेरे सवेरे छोटे देवर को जगाने के बहाने मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया। लण्ड पकड़ते ही मज़ा आ गया। मुझे लगा कि छोटे देवर का लण्ड तो ज्यादा मोटा है। मैं इसी तरह अपने देवरो के लण्ड को पकड़ने लगी पर कभी किसी से चुदवाया नहीं। इसी बीच मेरी ननद की शादी तय हो गयी और शादी का महूरत भी निकल आया।
तैयारियां होने लगी। रात को काफी देर तक बातें होने लगी। हंसी ख़ुशी का माहौल बन गया. मेरे ससुर ने एक बड़ा सा गेस्टहाउस पूरे 3 दिन के लिए बुक कर लिया। फिर सबको वहीं पर शिफ्ट कर दिया, अपने सारे नाते रिश्तेदारों को वहीं पर ठहरा दिया। हम लोग सभी सामान सहित गेस्ट हाउस पहुँच गए। उनमें मेरा जीजू भी था यानि मेरी बड़ी बहन रोली का हसबैंड रोहित।
मैं रोहित जीजू से खूब हंसी मजाक करती थी। कभी कभी तो ज्यादा खुल कर बात कर लेती थी। वह मुझ पर लाइन मारता था और मैं भी उसकी तरफ हाथ बढ़ा देती थी। उसने मेरी चूचियां कई बार ऊपर से दबायीं थीं और मैंने भी कई बार ऊपर से ही उसके लण्ड पर हाथ मारा था। अब शादी व्याह के मौके पर सभी लड़कियां औरतें सजी धजी तो रहतीं हैं इसलिए मर्दों का मन मचल जाना स्वाभाविक ही है। ऐसे मौके में सेक्स करने की इच्छा सबकी कुछ ज्यादा ही पैदा हो जाती है।
उस दिन दीदी ने अचानक कहा- अरे सुनीता, तुम ज़रा अपने जीजू के साथ जाकर एक नयी गुलाबी रंग की साड़ी खरीद लाओ. बस जीजू ने मुझे गाड़ी में बैठाया और शॉपिंग के लिए निकल पड़ा। वह भी मूड में आ गया और मैं भी! गाड़ी बाज़ार न ले जाकर वह अपने घर की ओर ले गया। मैंने कहा- अरे जीजू, कहाँ जा रहे हो? बाजार चलो न? वह बोला- अरे यार, घर से पैसे तो ले लें. वरना खरीददारी कैसे करेंगे? हम दोनों घर में दाखिल हो गए। घर में कोई और तो था नहीं!
वह अंदर गया और अपने कपड़े उतार कर एक निक्कर पहन कर मेरे आगे खड़ा हो गया। मैंने मजाक में कहा- अरे जीजू, क्या पैसे नंगे होकर निकालोगे तिजोरी से? उसने कहा- तिजोरी से पैसे नहीं, लण्ड निकालूँगा मेरी जान सुनीता। ऐसा कह उसने मुझे बाहों में भर लिया, बोला- बहुत तड़पाया है तूने मुझे मेरी जान आज मैं तुझे नहीं छोडूंगा, आज मैं तेरी चूत चोद कर ही मानूंगा। मैंने कहा- क्या कर रहे हो तुम? मैं तेरी बीवी नहीं हूँ साली हूँ. मुझे छोड़ दो। मुझसे नहीं होगा।
वह बोला- आज नहीं छोडूंगा। आज मैं तुझे क्या … तेरी माँ भी चोद डालूँगा। आज बड़ा सुनहरा मौक़ा है। इससे अच्छा मौक़ा नहीं मिलेगा। चाहती तो मैं भी थी कि जीजू जल्दी से लण्ड पेल दे मेरी चूत में! पर मैं ऊपर से थोड़ा नखरा दिखा रही थी। मैं बोली- अगर दीदी को मालूम हो गया तो? वह बोला- तेरी दीदी की बहन का भोसड़ा? आज मैं तेरी दीदी की बहन की चूत लेकर ही रहूंगा। फिर तो मैं भी चिपक गई जीजू के बदन से! जीजू ने मेरी खूब चुम्मियाँ लीं, खूब प्यार किया मुझे, खूब मेरे बूब्स ऊपर से ही दबाया।
मैंने भी इंकार नहीं किया। फिर वह मेरे कपड़े एक एक करके उतारने लगा। मैं चुप रही।मेरे बूब्स नंगे हो गए। मेरा पेटीकोट भी आखिर में उतर गया और मैं मादरचोद बिल्कुल नंगी हो गयी जीजू के आगे। वह बोला- सुनीता तुम नंगी और ज्यादा खूबसूरत लग रही हो! बड़ी मस्त हो यार … हुस्न की रानी हो तुम … तेरा जैसा कोई नहीं है यार! मैं तुम्हें दिलोजान से चाहता हूँ। मैंने कहा- अरे जीजू, मैं एक विवाहिता औरत हूँ। वह बोला- तभी तो और ज्यादा अच्छी लग रही हो तुम! मैंने कहा- मैं किसी की बीवी हूँ जीजू! वह बोला- मैं जानता हूँ कि तुम किसी की बीवी हो. लेकिन इस समय तुम मेरी बीवी हो, सिर्फ मेरी!
इतने में मैंने भी उसकी निक्कर उतार दी और कहा- फिर बीवी के आगे नंगे होने से डरते हो क्या? उसकी निक्कर खुली तो उसका लण्ड मेरे हाथ में आ गया। मेरे मुंह से निकला- हाय दईया, बड़ा मोटा है तेरा भोसड़ी का लण्ड जीजू? देखो न कैसे फुफकार मार रहा है बहनचोद? कितना सुन्दर दिख रहा है बहनचोद तेरा लण्ड! मन करता है कि इसे कच्चा खा जाऊं। वह बोला- खा जाओ न मेरा लण्ड सुनीता, मेरी रानी। उसने मेरे नंगे बदन को अपने नंगे बदन से चिपका लिया, मेरे पूरे जिस्म से खेलने लगा, नोचने लगा मेरा जिस्म! और मैं भी जुट गयी उसके लण्ड का पूरा मज़ा लेने के लिए।
हम दोनों 69 बन गए। वह मेरी बुर चाटने लगा और मैं उसका लण्ड। मैं उस समय सातवें आसमान पर थी, मुझे कुछ नहीं मालूम था कि मैं यहाँ किसलिए आई थी। मुझे तो बस एक नया लण्ड मिला तो मैं उसी में खो गयी। कुछ देर तक ये सब चलता रहा. फिर उसने घूम कर लण्ड मेरी चूत पर रख दिया। लण्ड भी गीला था और चूत भी गीली। उसने लण्ड पहले चूत के मुहाने पर रगड़ा और फिर एकदम से गच्च से पेल दिया अंदर!
लण्ड साला सरसराता हुआ अंदर पूरा घुस गया। मैं चुदी हुई तो थी ही … मेरे मुंह से उफ़ निकला फिर मैं मस्ती से कमर हिला हिला कर चुदवाने लगी। पलंग के एक कोने पर मैं चित लेटी हुई थी, जीजू नीचे खड़ा था, मेरी दोनों टांगें उसके कंधे पर थीं और लण्ड पूरा का पूरा मेरी चूत में। पूरी ब्लू फिल्म चल रही थी घर में! मैं बुरचोदी हरामजादी छिनार किसी पराये पुरुष से चुदवाने में मस्त थी।
मुझे पराये मरद का लण्ड ज्यादा मज़ा देता है। पराये मर्दों के लण्ड का माला जपती हूँ। असली प्यार तो मैं पराये मर्दों के लण्ड से ही करती हूँ। मैं भगवान् से यही प्रार्थना करती हूँ कि मुझे दुनिया में कुछ मिले न मिले … पर पराये मर्दों के लण्ड मिलते रहें तो मैं मजे से जी लूंगी। मैंने कहा- हाय जीजू फाड़ डालो मेरी बुर … चीर डालो मेरी चूत! पूरा लौड़ा घुसेड़ दो अंदर … मुझे खूब हचक हचक कर चोदो! मेरी चूत के चीथड़े उड़ा दो यार! तेरा लण्ड मादर चोद बड़ा मज़ा दे रहा है।
चुदाई में जब मज़ा आने लगता है तो मुँह से ऐसी ही बातें अपने आप निकलती हैं। मैंने कहा- तुम भोसड़ी के जीजू अपनी बीवी इस तरह से नहीं चोदते होंगे? वह बोला- मेरी बीवी कभी इतनी अच्छी तरह से चुदवाती ही नहीं जितनी अच्छी तरह से तुम चुदवा रही हो सुनीता! यह सुनकर मैं और ज्यादा अपनी गांड उठा उठा कर चुदवाने लगी। कुछ देर में लण्ड बाहर निकला तो मैं उसे फिर चाटने लगी। इस बार जीजू ने मुझे घोड़ी बना दिया, मेरी चूत पीछे से चोदने लगा।
इस तरह की चुदाई भी बड़ा मज़ा देती है। मैं डॉगी स्टाइल की बड़ी चहेती हूँ और मैं खूब मस्ती से झमाझम चुदवाने लगी।
मेरी बड़ी बड़ी चूचियाँ हिल रही थीं और मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। मैंने मजाक में कहा- कहीं मेरी गांड में न पेल देना लण्ड जीजू? मैं गांड़ नहीं मरवाती? मुझे पीछे से लण्ड पेल पेल कर चोदो।
इस तरह मैंने जीजू से चुदाई का बड़ा मज़ा लिया और इसी बीच खलास भी हो गयी। फिर जीजू के लण्ड ने भी पिचकारी छोड़ दी मेरे मुंह में और मैं उसे गटक गयी। मुझे झड़ते हुए लण्ड का टोपा चाटने में जो मज़ा आया, वह बहुत ही बढ़िया था। फिर हम दोनों फ़ौरन तैयार होकर बाज़ार गए, साड़ी खरीदी और दीदी के पास पहुँच गए। मैं फिर सबसे घुल मिल गयी। किसी को क्या पता की मैं जीजू का लण्ड ठुकवा कर आई हूँ।
शाम को ननद शादी की रस्में पूरी हुई. फिर रात में खाना पीना हुआ और सबसे खूब जम कर बातें हुईं। धीरे धीरे लोग सोने लगे और लगभग 11 बजे तक सब लोग सो गए थे। मैं जग रही थी. जानते हो दोस्तो, क्यों? क्योंकि मैं एक लण्ड की तलाश में थी।
मेरे मन में आया कि अगर एक लण्ड अभी मिल जाए तो फिर चुदने के बाद नींद अच्छी आ जाएगी।
तब तक देवेश आ गया। वह बोला- भाभी जी मुझे ज़रा घर जाना है। मैं अपना पर्स भूल गया हूँ। क्या तुम चलोगी मेरे साथ? कोई बहुत दूर नहीं है। बस पास में ही है और कार से चलना है। मैंने कहा- हां हां ठीक है, मैं चलती हूँ तेरे साथ। हम दोनों घर पहुँच गए। घर तो बंद था। देवेश ने चाभी निकाली ताला खोला और अंदर घुस गए। देवेश ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और सीधे मुझसे लिपट गया, बोला- आज बिना तुम्हें नंगी किये मैं नहीं छोडूंगा भाभी जी। मैं जाने कब से तुम्हें नंगी देखना चाहता हूँ। आज मौका मिला है। मैंने कहा- अपना पर्स तो रख लो पहले!
वह बोला- पर्स तो मेरी जेब में है भाभी जी! वह तो मेरा तुम्हें यहाँ लाने का बहाना था। मैंने बड़े प्यार से आँखें मटका कर कहा- तो क्या तुम मुझे चोदोगे? वह बोला- हां बिल्कुल चोदूंगा। बिना चोदे न जाऊंगा और न जाने दूंगा। मैंने कहा- चोद लेते हो तुम? तेरा लण्ड बुर चोदने के काबिल है? तू पूरा मर्द बन गया है क्या? वह बोला- अब तुम ही पकड़ कर देख लो मेरा लण्ड, भाभी जी। इतने में वह मेरे कपड़े खोलने लगा। सबसे पहले मेरी चूचियाँ खुलीं। उन्हें देख कर देवेश बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया। उसका लण्ड अंदर से खड़ा हो चुका था। फिर उसने मेरा जब पेटिकोट खोला तो मैं पूरी नंगी हो गयी।
मैंने भी उसे नंगा कर दिया, उसका लण्ड पकड़ कर हिलाया तो वाकई मुझे मज़ा आ गया। लण्ड बड़ा मोटा था और मेरे मन का था। हम दोनों नंगे नंगे बेड पर लेट गए। मैं उसके ऊपर चढ़ बैठी और अपनी चूत उसके मुंह पर रख दिया। वह मेरी बुर चाटने लगा और मैं उसका लण्ड। मुझे तो सच में इसी टाइम का इंतज़ार था, मेरी इच्छा पूरी हो रही थी। रात में वैसे ही हर चूत बुर चोदी रंडी हो जाती है। मेरी भी चूत रंडी बन चुकी थी। मैं देवेश से चुदने के लिए व्याकुल हो रही थी।
उसका लण्ड मेरे रोम रोम में जोश भर रहा था. मेरी झोली में एक और पराये मरद का लण्ड आ गया था। मैं तो ख़ुशी से फूली नहीं समा रही थी। गोपी बहुत ज्यादा रोमांटिक था। उसने जब लण्ड पूरा का पूरा घुसाया मेरी चूत में तो मैं तो मस्त हो गई … मैं उसकी बीवी बनकर चुदवाने लगी, रंडी की तरह गचर गचर चुदवाने लगी, धक्के पे धक्के लगा कर चुदवाने लगी। मैं अपनी गांड उठा उठा कर चुदवाने लगी और गालियां दे दे कर चुदवाने लगी- हाय रे … खूब चोदो मुझे, मैं बुर चोदी बहुत चुदासी हूँ, छिनार हूँ मैं … मुझे चोदो, रंडी की औलाद हूँ मैं … मुझे चोदो, फाड़ डालो मेरी बुर।
देवेश साले तेरे लण्ड की माँ का भोसड़ा। तू तो बड़ा हरामजादा निकला। अपनी भाभी की बुर अपनी बीवी की बुर समझ कर चोद रहा है तू मादरचोद। मुझे नहीं मालूम था कि तेरा लण्ड इतना बेरहम है। आज मैं भून डालूंगी तेरा भोसड़ी का लण्ड!
उसने चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी। उसका मोटा लण्ड मेरी चूत की चमड़ी उधेड़ रहा था। मैं इसी तरह चोदने वालों से प्यार करती हूँ। देवेश मेरा बड़ा चहेता देवर बन गया।
आखिर में जब वह झड़ा तो मैं उसका गर्म गर्म वीर्य आइसक्रीम की तरह चाट गयी। उसके बाद मैं छुप छुप कर नीरज और ललित से भी चुदी। जब तक मेरी ननद की विदाई नहीं हो गई तब तक मैं किसी न किसी से चुदती रही। मुझे वो दिन आज भी याद है।