हेल्लो दोस्तों, मै युक्ती अग्रवाल दिल्ली की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र लगभग 29 साल है, और मैं एक शादीशुदा औरत हूँ.
शादी से पहले मै दिखने में बहुत ही हॉट और सेक्सी थी। अगर कोई लड़का एक बार मुझे देख लेता था तो एक बार तो जरुर मेरे बारे में सोचता था।
लड़के मेरे चहरे को देख कर मेरी चूची और चूत के बारे में सोच लेते थे। वैसे भी मेरी बड़ी बड़ी आंखे, गाजर की तरह लाल लाल गाल, मलाई की तरह रसीले और मुलायम होठो को, तो कोई भी देख कर मुझ पर फ़िदा हो जाता था और मेरे मम्मे तो काफी गजब के थे, देखने से लगता था की कोई मीडियम साइज़ का बड़ा वाला निम्बू है।
काफी मुलायम बिल्कुल रुई की तरह और सॉफ्ट। एक बार छू लो तो हाथ हटाने का भी मन ना करे। और मेरी चूत तो कुछ दिनों तक कुवारी थी लेकिन मै एक लड़के के प्यार के चक्कर में पड़ कर अपनी चूत चुदवाली।
जब मेरी चूत को पहली बार मेरे बोयफ़्रेंड ने चोदा तो मेरी चूत तो फट गई थी और मेरी चूत से खून भी निकलने लगा था।
फिर मेरे बोयफ़्रेंड ने मुझे समझाया की जब पहली बार चुदाई करो तो सील टूटने से खून निकलने लगता है।
उसके बाद मैंने किसी से नही चुदवाया, और किसी को लाइन भी नही दी लेकिन बहुत लड़के मेरे पीछे पड़े थे। बहुत से लड़के तो मेरे घर के आगे पीछे भी घूमा करते थे। बहुत बार तो मेरे पापा कई लडको से पूछने लगते थे कि यहाँ क्यों घूम रहें हो। तो वो लोग बहाना बनाकर बता देते थे कि अपने दोस्त का इंतजार कर रहा हूँ।
मेरी शादी को सात साल हो चुके है और मेरी शादी के बाद मेरे पति ने लगातार दो साल तक मेरी चुदाई और अपने लंड की प्यास मेरी चूत की चुदाई करके बुझाई। लेकिन दूसरे साल मै प्रेग्नेंट हो गयी। उसके नौ महीने बाद मुझे एक लड़का हुआ। मैंने उसका नाम अमित रखा।
धीरे धीरे हमारा बेटा बड़ा हो गया। अब वो पांच साल का होने वाला है। अब उसकी पढाई के लिये उसका एडमिसन करवाने का समय आ रहा था।
मै अपने बच्चे को दिल्ली के सबसे अच्छे स्कूल में पढाना चाहती थी। ताकि वो बड़ा होकर कुछ बन सके। मै नही चाहती थी की उसको बड़ा होकर भटकना पड़े।
कुछ दिन पहले की बात है, मैंने अपने बेटे के एडमिसन के लिये दिल्ली के वसंत कुंज के पांच छह बड़े बड़े स्कूलों में एप्लाई किया। लेकिन किसी भी स्कूल में उसका नाम नही आया।
फिर मेरे पति के दोस्त ने मुझे एक दलाल से मिलवाया, उन्होने कहा – “आप की मदत हो जायेगी जब और कोई काम हो तो मुझको बताना” मैने कहा ठीक है।
मेरे पति के दोस्त चले गये। मै और मेरा छोटा बेटा उस दलाल के साथ में बैठे थे। वो मुझे ताड़ रहा था, मैने उसको नोटिस किया वो बार बार मेरे मम्मो को देख रहा था और अपने हाथ से अपने लंड को सहला रहा था।
मुझे लगा की ये शायद मेरी चुदाई के बारे में सोच रहा है।
मैंने उससे कहा – “आप मेरे बेटे का एडमिसन तो करवा देंगे ना।
तो उसने कहा – “हाँ मैडम हमारा काम यही है लेकिन आप को भी मेरे साथ कुछ मेहनत करना होगा”।
मैंने उससे कहा – “आप जो कहेंगे मै वो करूँगी लेकिन मेरे बेटे का एडमिशन हो जाए बस”।
फिर उसने मुझसे कहा – “देखिये वैसे तो मै सबसे पैसे लेता हूँ लेकिन आप मुझको बहुत पसंद आ गयी है और मै आप को अपने बेड तक ले जाना चाहता हूँ। मै आप से पैसे भी नही लूँगा और आप का एडमिसन भी करवा दूँगा”
उसकी बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया। मैंने उससे कहा – “आप ने मुझे समझ क्या रखा है मै कोई वैश्या नही हूँ जो तुम्हारे कहने पर तुम्हारे बेड पर चली जाउंगी। और रही बात एडमिसन की वो मै किसी तरह से करवा ही लुंगी”।
दूसरे दिन मुझे पता चला कि उस स्कूल का प्रधानाचार्य जो है वो घूस लेकर एडमिसन कर लेता है। मै भी उससे मिलने दूसरे दिन पहुँच गई।
मैंने वहां के प्रधानाचार्य से कहा – “आप जो पैसे कहेंगे मै आप को दे दूंगी बस आप मेरे बेटे का एडमिसन कर लो”
वहां का प्रधानाचार्य देखने में जवान था, मैंने देखा वो भी मुझे देख रहा था और काफी मूड में लग रहा था।
मैंने कहा – “सर बस किसी तरह हो जाये तो ठीक रहेगा क्यूंकि मै बड़ी उम्मीद लेकर आई हूँ”।
तो उसने कहा – “आप चिन्ता मत करिये बस आप आपने बच्चे को यहाँ भेजने के बारे में सोचिये। लेकिन उससे पहले मै बता दूँ मै सबसे तो तीन लाख रूपये लेता हूँ लेकिन मै आप के लिये कुछ छूट कर दूँगा।
आप मुझको केवल एक लाख रूपये दे देना और साथ में मै आप के जिस्म के साथ में खेलना चाहता हूँ।
तुम चाहो तो जितना मैंने कहा है उतना मुझे दे दो और अपने बेटे का एडमिसन करवालो या फिर घर जाओ। और तुम चाहो तो एक दिन का समय भी ले लो। लेकिन कल तक बता देना.
उसकी बात सुनकर मुझे गुस्सा तो बहुत आया लेकिन मै वहाँ से चुपचाप चली आई।
मैंने उसके बारे में रात भर सोचा मैंने सोचा अगर कहीं और मौका ना मिले तो इसलिए मैंने सोच लिया था की मै अपने बेटे के एडमिसन के लिये कुछ भी करुँगी।
मैंने सुबह ही स्कूल के प्रधानचार्य को फोन किया और उससे कहा – “मै तैयार हूँ।
उसने मुझसे कहा – “ठीक है आज स्कूल में आओ”और अकेले आना.
मैंने उनसे कहा – बच्चे को अकेला कहाँ छोड़ूँगी।
तो उसने कहा ठीक है उसको भी साथ ले आना।
मैंने कहा ठीक है मै आ जाउंगी।
मै उनके ऑफिस पहुंची।
मैंने अपने बेटे का फॉर्म भर कर दे दिया।
उसके बाद प्रधानाचार्य प्रतीक जिंदल ने कहा चलो मेरे साथ मेरे फाम हाउस पर हम वही अपनी चुदाई पूरी करेंगे।
मै अपने बच्चे के साथ प्रतीक के फाम हाउस पर उसके साथ में पहुंची। उसने मेरे बच्चे को कुछ खिलौने दे दिए खेलने के लिये और मै और प्रतीक दोनों उसके बेडरूम में चले गये।
उसने जल्दी से अपने कपडे उतार दिए, और मुझको बेड पर लिटा दिया। पहले तो प्रतीक ने मेरी साड़ी के पल्लू को हटाया, और मेरे मम्मो को सहलाते हुए अपने हाथ को मेरी चूची से नीचे की तरफ ले जाने लगा और मेरे कमर को सहलाते हुए वो मेरे कमर को चूमने लगा।
मुझे अच्छा लग रहा था लेकिन शादी से बाद दूसरे मर्द से चुदवाना पाप होता है लेकिन अपने बेटे के लिये मैंने ये पाप कर लिया।
कुछ देर बाद जब उसका पूरा मूड बाद गया, तो वो मेरे मम्मो में अपना मुह रगड़ते हुए मेरे गले को पीते हुए मेरी होठो को पीने लगा।
उसने मेरे होठो को अपने जीभ से चाटते हुए मेरे होठो को चूसने लगा और साथ में मेरे मम्मो को सहलाते हुए मेरे कमर को सहला रहा था जिससे मेरे अंदर की ज्वाला भडक उठी और मेरे जिस्म की गर्मी से मेरा पूरा बदन गरम हो गया।
मैने भी जोश में आ कर प्रतीक से किसी दो प्रेमी जोड़े की तरह लिपट गई और उसके बदन को सहलाते हुए उसके होठो को पीने लगी।
अब हम दोनों बड़ी मस्ती से एक दूसरे के होठो को पीने लगे। प्रतीक मुझे और ज्यादा जोश में लाने के लिये मेरे होठो को काटते हुए मेरे मम्मो को भी दबा रहा था। मै बहुत ज्यादा मचल रही थी और मै उससे और कस कर चिपकने लगी और और उसके होठो को और भी प्यार से पीने लगी।
बहुत देर तक होठो को पीने के बाद उसने मेरे साडी को निकाल दिया।
फिर उसने मेरे ब्लाउस के बटन को खोलने लगा और मेरी चिकनी और मुलायम चूची धीरे धीरे दिखने लगी थी।
ब्लाउस निकालने के बाद उसने मेरे मम्मो को चुमते हुए मेरी ब्रा को भी निकाल दिया। मेरे गोरे मम्मो को देखने के बाद प्रतीक तो खुश हो गया।
उसने मुझसे कहा – “वाह तुम्हारे मम्मे तो बहुत ही गोरे और मुलायम है”.
उसने मेरे मम्मो को पहले जानवरों की तरह खूब दबाया, जिससे मेरी चूची दर्द हो रही थी और मैं धीरे धीरे सिसक रही थी।
फिर कुछ देर बाद वो मेरे बूब्स को अपने जीभ से चाटने लगा और कुछ ही देर में मेरे मम्मो को अपने मुह में भर कर पीने लगा। वो मेरे मम्मो के निप्पल को चूस चूस कर मेरे दूध पीने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अब मेरी चूची से दूध नही आते है। प्रतीक मेरे मम्मो को बार बार दबा दबाकर पी रहा था। और मै .. अहह अहह उफ़ उफ्फ्फ ऊफ .. करके सिसक रही थी। लेकिन मजा तो बहुत आ रहा था।
बहुत देर तक मेरे मम्मो को पीने के बाद उसने मेरे कमर को पीते हुए मेरे पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया और निकाल कर फेक दिया।
फिर मेरी पैंटी को उसने धीरे से खीचा और जिससे मेरी चूत की झांट थोड़ी सी दिखने लगी। कुछ देर में उसने मेरी पैंटी निकाल दी और मेरे बुर को देख कर उसके मुह में पानी आ रहा था और उसका लंड और भी खड़ा हो रहा था।
वो मेरी चूत को पहले अपने हाथो की उंगलियों से सहलाने लगा और फिर धीरे धीरे मेरी चूत में अपने उंगलियो को डालने लगा। कुछ ही देर में उसकी उंगलियां मेरी चूत की गहराई को नापने के लिये अंदर तक जाने लगी।
वो अपनी सभी उंगलियो को मेरी चूत के अंदर डाल रहा था और जब उंगली अंदर जाती तो उसको अंदर ही हिलाने लगता जिससे मै कामोत्तेजना से पागल होकर अपने मम्मो को मसलते हुए … अहह अहह.. अहह.. ओह्ह… ओह.. ओह्ह्ह्ह …. उनहू उनहू हा हा सी …. करके सिसकती।
कुछ ही देर में मेरा बुरा हाल हो गया मै तडपते हुए चीख रही थी, लेकिन जब मेरी चूत से पानी निकलने लगा तब मुझे कुछ राहत मिली। लेकिन प्रतीक फिर भी लगातार मेरी चूत में उंगली कर रहा था जिससे लगातार मेरी चूत से पानी निकल रहा था।
जब मेरी चूत से पानी निकाल रहा था तो ऐसा लग रहा था की मेरे शरीर में करंट दौड़ रहा हो और मेरे पेट में एक मरोड़ उठ रही थी जो मेरे पूरे बॉडी में फ़ैल रही थी।
कुछ देर बाद मेरी चूत के पानी को निकालने के बाद उसने बड़ी जल्दी से अपने लंड को पकड़ा और चूत के छेद से मिलाते हुए मेरी चूत पर अपना लंड पटकने लगा। जिससे मै थिरक उठती और अपने मम्मो को मसलने लगती।
फिर उसने अपने लंड को को पहली ही बार में जोर लगा कर मेरी चूत में डाल दिया।
मुझे ऐसा लगा कही मेरे प्राण ही ना निकाल जाये। उसका मोटा लंड मेरी चूत को चोदने लगा। कुछ ही देर में मेरी चूत में उसका लंड घच्च घच्च अंदर बाहर हो होने लगा। जिससे उसकी कमर मेरे कमर में लड़ रही थी और चट चट चट चट की आवाज़ आ रही थी।
वो लगातार मेरी चूत अपना लंड डाल रहा था। जब प्रतीक का लंड मेरी चूत में अंदर के जाता तो मेरी चूत की किनारे पर एक रगड़ लगती जिसका दर्द बहुत ही तेज था और कुछ देर बाद प्रतीक ने अपने लंड को निकाल लिया और फिर मुझे किस करने लगा। कुछ देर तक किस करने के बाद उसने फिर मेरी चूत को चोदने के लिये अलग पोस बनाया। वो खुद लेट गया और मुझको अपने ऊपर बैठने के लिये कहा।
मै उसके लंड के बराबर में थी उसने पहले अपना लंड मेरी बुर में डाल लिया और फिर मेरी कमर को ऊपर नीचे करने लगा।
धीरे धीरे वो तेजी से मेरी चूत में लंड डालने लगा। कुछ देर बाद मै खुद ही ऊपर नीचे होने लगी मुझे भी मजा आने लगा। मै तो एकदम उसके लंड को अपने चूत के अंदर कर लेती थी। जिससे प्रतीक मचल जाता था।
बहुत देर तक मेरी चुदाई करने के बाद उसने अपने लंड को मेरे दोनो मम्मो के बीच में रख दिया और मेरे मम्मो को दबा लिया और जल्दी जल्दी पेलने लगा।
वो अपनी पूरी ताकत लगा मेरी चुचियो के बीच में चोद रहा था। कुछ देर बाद उसके लंड से शुक्राणु निकने लगा और मेरे मुह और गले को सफेद कर दिया। मुझे तो घिन आ रही थी। लेकिन प्रतीक ने मुझसे जबरदस्ती उसको चटवाया। चाटने पर पता चला स्वाद अच्छा है।
चुदाई के बाद भी उसने मेरे मम्मो और चूत से बहुत देर तक खेला। फिर उसने मुझसे कहा – “मै तुमसे एक भी रूपये नही लूँगा अगर तुम हर हफ्ते में एक बार मेरा बिस्तर गरम कर दिया करो तो”।
मैंने मना कर दिया और कहा – “मै आप को पैसे दे दूंगी”। और अगर मेरे पति को पता चल गया तो वो मुझे घर से बाहर कर देंगे।
इस तरह मैंने अपने बेटे के एडमिसन के लिये स्कूल के प्रिंसपल से चुदवाया।